गरीबी रेखा श्रेणी के परिवारों के लिए महत्वपूर्ण योजना : शादी के दो साल बाद बेटे के जन्म पर दस हजार और बेटी के जन्म पर बारह हजार रूपए का मिलेगा पुरस्कार

 

    रायपुर, 08 जनवरी 2014

जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ में शादी के कम से कम दो वर्ष बाद प्रथम बच्चे को जन्म देने वाले दम्पत्ति को बेटे के जन्म पर दस हजार रूपए और बेटी के जन्म पर 12 हजार रूपए का पुरस्कार दिया जाएगा। इसके लिए पत्नी की उम्र 19 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। प्रथम संतान के बाद दूसरी संतान के जन्म में कम से कम तीन वर्ष का अंतर रखने और स्वप्रेरणा से बच्चे के जन्म के एक वर्ष के भीतर परिवार नियोजन के स्थायी उपाय अपनाने वाले दम्पत्ति को बेटे के जन्म पर पांच हजार रूपए और बेटी के जन्म पर सात हजार रूपए का अतिरिक्त पुरस्कार राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र के रूप में दिया जाएगा।
यह योजना केवल गरीबी रेखा श्रेणी के परिवारों के लिए होगी और इसका क्रियान्वयन ए.एन.एम., मितानिन आदि के सहयोग से ऐसे दम्पत्तियों की पहचान तथा रिपोर्टिंग करके की जाएगी। इसके लिए समाजसेवी संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा। यह जानकारी राज्य सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा यहां नया रायपुर स्थित मंत्रालय (महानदी भवन) से जारी परिपत्र में दी गई है। यह परिपत्र स्वास्थ्य सेवाओं के आयुक्त सहित संचालक स्वास्थ्य सेवाएं और संचालक राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन सहित स्वास्थ्य विभाग के सभी संभागीय संयुक्त संचालकों और जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को भेजा गया है। उन्हें इस पुरस्कार योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए गए हैं।    परिपत्र में बताया गया है कि जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिए यह पुरस्कार योजना केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत जनसंख्या स्थिरता कोष के सहयोग से संचालित की जाएगी। जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों के द्वारा लड़कियों के विवाह की आयु और बच्चों के जन्म  में अंतर को बढ़ाने के लिए जनसंख्या स्थिरता कोष के माध्यम से ‘प्रेरणा-एक उत्तरदायी पितृत्व रणनीति ’ नामक योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत ऐसे दम्पत्तियों को चिन्हांकित कर पुरस्कृत करने का निर्णय लिया गया है, जो कम उम्र में शादी करने की परम्परा को तोड़ते हैं और बच्चों के जन्म में अंतर रखते हैं। गर्भनिरोध और बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित योजनाओं को केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा समाजसेवी संगठनों तथा सिविल सोसायटी के सहयोग से बेहतर ढंग से लागू करना भी इसका एक मुख्य उद्देश्य है।