जिला प्रशासन की बड़ी कार्यवाही, जीवन ज्योति अस्पताल का किया लाईसेंस निरस्त, इस वजह से किया कैंसिल की कार्रवाई

License of Jeevan Jyoti Hospital canceled: जिला प्रशासन ने बड़ी कार्यवाही की हैं। नर्सिंंग होम एक्ट का पालन नहीं करने पर जिला मुख्यालय मुंगेली में संचालित जीवन ज्योति अस्पताल का लाईसेंस निरस्त किया गया हैं। यह कार्यवाही कलेक्टर राहुल देव ने जिला स्तरीय जांच टीम के जांच प्रतिवेदन के आधार पर की हैं। उल्लेखनीय हैं कि, कलेक्टर ने जीवन ज्योति अस्पताल में बिना डिग्री के ईलाज किए जाने संबंधी शिकायत को गंभीरता से लिया था और जिला स्तरीय जांच टीम गठित कर संबंधित अस्पताल का निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे।

जांच टीम ने अपने प्रतिवेदन में बताया कि, मरीजों के हितों को ध्यान में न रखते हुए और उनके जान की परवाह न करते हुए जीवन ज्योति अस्पताल द्वारा नर्सिंग होम एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा हैं। जांच टीम ने बताया कि जीवनज्योति हास्पिटल द्वारा केवल हास्पिटल (एलोपैथी) के लिए लाईसेंस लिया गया हैं ना कि मेटरनिटि के लिए। लेकीन, वहाँ सिजेरियन ऑपरेशन हो रहा हैं। डॉ० रामकृष्ण साहू आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं। जिनकी सेवा आरएमओ के रूप में लिया जा रहा हैं। जिनका छ.ग. आयुर्वेदिक तथा यूनानी चिकित्सा पद्धती व प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड मे डिग्री पंजीकृत नहीं हैं। निश्चेतना विशेषज्ञ द्वारा ऑपरेशन में निश्चेतना ना दिये जाने उपरांत भी निश्चेतना विशेषज्ञ का नाम लिखा जा रहा हैं।

जीवनज्योति हास्पिटल में सिजेरियन ऑपरेशन में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ का नाम लिखा जा रहा हैं। जबकी, उनके द्वारा ऑपरेशन नहीं किया गया हैं। हास्पिटल में निरिक्षण के दौरान पाया गया कि हास्पिटल में अवैध रूप से पैथोलैब का संचालन किया जा रहा हैं। जो छत्तीसगढ़ राज्य उपचर्यागृह रोगोगपचार संबंधि स्थापनाएं अनुज्ञापन अधिनियम के विपरित हैं। जीवनज्योति हास्पिटल में कार्यरत चिकित्सक डॉ० सुधा बोरकर अपना त्यागपत्र दे चुकी हैं। वर्तमान में संस्था चिकित्सक विहिन हो गया हैं। जो कि नर्सिंग होम एक्ट नियम के विपरित हैं। कलेक्टर ने उक्त प्रतिवेदन के आधार पर यह कार्यवाही की हैं।

बता दें कि, छत्तीसगढ़ राज्य उपचर्यागृह रोगोपचार संबंधी स्थापनाएं अनुज्ञापन अधिनियम 2010 अंतर्गत जिला स्तरीय समिति की बैठक 28 फरवरी को आयोजित की गई थी। जिसमें समिति के सदस्यों के द्वारा सर्वसम्मति से जीवन ज्योति अस्पताल को बंद करने का निर्णय लिया गया था।