छत्तीसगढ़ियों से सीखें गोबर का सही इस्तेमाल… दिये और कंडे के बाद नया अविष्कार… अम्बिकापुर समूह की महिलाएं बना रहे ये सामान

अम्बिकापुर। आपने गोबर से कंडे और दिये बनते बहुत बार देखा होगा.. लेकिन इन दिनों अम्बिकापुर में गोबर से लकड़ी और ईंट का निर्माण भी किया जा रहा है.. ये काम नगर निगम की देखरेख में गोधन न्याय योजना के तहत समूह की महिलाएं कर रही है। कम लागत से बनने वाली गोबर की लकड़ी और ईटों की उपयोगिता से भविष्य में कितने फायदे होंगे इसका अंदाजा आप बखूबी लगा सकते है।

सरकार की ऐसी कई योजनाएं होती है जिसकी ख़ूब आलोचनाएं होती है.. लेकिन कई योजनाओं का असर लंबे समय बाद दिखाई देता है। छत्तीसगढ़ सरकार की इन्हीं में से एक योजना है, जिसका नाम है गोधन न्याय योजना। विपक्षी पार्टी ने इस योजना की खूब आलोचना की। सूबे की सरकार करोड़ो रुपए खर्च कर 2 रुपए प्रति किलो गोबर की खरीदी करेगी और इससे लोगों को क्या फायदा होगा?.. लेकिन सरकार की गोधन न्याय योजना सरगुजा जिले में मील का पत्थर साबित हो रही है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं.. क्योंकि दो रुपए प्रति किलो के गोबर से अब समूह की महिलाएं लकड़ी और ईंट का निर्माण कर रही है।

दरअसल अम्बिकापुर नगर निगम को शासन की ओर से गोबर के ईंट और लकड़ी बनाने की स्वीकृति मिली थी। स्वीकृति मिलते ही निगम प्रशासन ने मात्र 60 हजार रुपए खर्च कर डीसी रोड स्थिति एसएलआरएम सेंटर में मशीन लगवा दिया। इसके बाद समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर गोबर से लकड़ी और ईट बनाने का कार्य शुरू किया गया है।

कम लागत से बनने वाली गोबर की लकड़ी और ईट का डिमांड काफी ज्यादा है। सर्दी के इस मौसम में इसका उपयोग अलाव जलाने के लिए किया जाएगा। साथ ही जेल में खाना बनाने के लिए गोबर की लकड़ी और ईट का इस्तेमाल भी होगा। जेल प्रबंधन ने नगर निगम को इसके लिए ऑर्डर भी दे दिया है। यही नहीं शव को जलाने के लिए भी अब गोबर की लकड़ी और ईट उपयोग में आएगा।

मात्र 6 रुपए किलो में बिकने वाली गोबर की लकड़ी व ईंट के फायदे अनेक है। एक तरफ पर्यावरण को फायदा तो पहुंचेगा ही, साथ ही जलावन लकड़ी की अवैध कटाई पर भी काफी हद तक रोक लगेगी। यही नहीं समूह की महिलाएं गोबर की लकड़ी व ईट का निर्माण कर आत्मनिर्भर बनेंगी और आम लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा।

गोधन न्याय योजना के तहत 2 रुपये प्रति किलो बिकने वाले गोबर की अहमियत तो आप समझ ही गए होंगे। इसलिए आप भी गोबर से बने लकड़ी और ईट को खरीद कर घरों में इस्तमाल करें। ताकि हम और आप प्रशासन के साथ मिलकर पर्यावरण को बचा सके और समूह की महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन सके।