CG News: शादीशुदा होने के बाद भी अगर कोई शारीरिक शोषण में लिप्त है, तो महिला आयोग उसके लिए सख्त

धमतरी. छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य डॉ अनीता रावटे ने आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई की। उन्होंने कहा कि शादी-शुदा होने के बाद भी अगर कोई शारीरिक शोषण में लिप्त है, तो आयोग उसके विरूद्ध सख्त कार्रवाई करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि विवादों को सुलझाने में पक्ष अपनी समझदारी दिखाएं। डॉ.नायक की अध्यक्षता में 168 वीं जनसुनवाई में कुल 25 प्रकरण सुनवाई के लिए रखे गए। इनमें से 17 प्रकरणों की सुनवाई हुई और सात प्रकरण नस्तीबद्ध किए गए। इस अवसर पर संबंधित विभाग के अधिकारी सहित आवेदक, अनावेदकगण मौजूद रहे। जनसुनवाई के दौरान आवेदिका द्वारा जिला न्यायालय में चल रहे प्रकरण के लिए अग्रिम कार्यवाही नहीं कराने संबंधी आवेदन प्रस्तुत किया गया, कार्यवाही नस्तीबद्ध किया गया है।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने गांव के 24 लोगों एवं गांव के सरपंच के विरूद्ध आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें उसने मारपीट, घर तोड़वाने एवं गांव से बहिष्कृत करने के संबंध में शिकायत की। इस प्रकरण में उभय पक्षों को सभी दस्तावेज और शपथपूर्वक कथन महिला आयेग में जमा करने हेतु निर्देश दिया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के पिता ने प्रकरण वापसी के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। उभय पक्ष में सहमति हो चुका है और इस आवेदन में आवेदिका के हस्ताक्षर हैं जबकि मूल आवेदन में आवेदिका के पिता के हस्ताक्षर है जो आपस में मेल नहीं हो रहा है इसलिए प्रकरण को आज नस्तीबद्ध नहीं किया गया। महिला आयोग रायपुर में आवेदक और अनावेदक को 01-01 गवाह और आवेदिका के पिता के साथ कार्यालयीन दिवस में उपस्थित होने कहा।

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपने पति के नशे के हालात में जमीन बेचने की शिकायत दर्ज कराई। उसका पति अनुपस्थित था और उसके पास कोई दस्तावेज नहीं था। आवेदिका को समझाईश दी गई कि वे यह साबित करें कि उसके पति नशे की हालात में जमीन का बिक्रीबयनामा किया गया है, केवल उसी दशा में इस प्रकरण का कार्यवाही की जा सकेगी।

अन्य प्रकरण में आवेदिका दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी रही है और 100 बच्चियों के आवासीय विद्यालय में निवासरत् थी उसकी लगातार अनुपस्थिति के बाद उसे कार्य से निकाल दिया गया है। आवेदिका के पास उसके पक्ष समर्थन के दस्तावेज और अनावेदक के पास भी ऐसे दस्तावेज है जिनसे इस प्रकरण का निराकरण करने में विलंब का नुकसान को वहन करना पड़ेगा। इस हेतु आवेदिका को समझाईश दिया गया कि वह श्रम न्यायालय में तत्तकाल कार्यवाही हेतु आवेदन प्रस्तुत करें और बकाया वेतन अथवा नौकरी में बहाली के लिये अनुतोष प्राप्त कर सके।

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसका पति प्रधान आरक्षक पद पर भानुप्रतापुर में पदस्थ है और आवेदिका से विधिवत् तलाक नहीं हुआ है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक ने पत्नी और पांच साल की बच्ची को साथ रखने को तैयार हुआ। दोनों को समझाईश दी कि अपने विवाह को वे पुनः जीवित कर सके। दोनो पक्षों ने इस पर सहमती जताई।

एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों के मध्य थाना में लिखा पढ़ी होकर समझौता हो गया है और शपथपत्र के अनुसार अनावेदक ने आवेदिका को उसका सभी समान और पैसा दे दिया है जिसके कारण प्रकरण का कोई औचित्य नहीं होने के कारण प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

सुनवाई के दौरान आवेदिका ने बताया कि उसके पति की मृत्यु मनरेगा में काम करते समय हुई थी ऐसी दशा में 04 लाख रू. मुआवजा मिलना चाहिए अनावेदकगण का कहना है कि मृतक मनरेगा में कार्यरत् नहीं था इसलिए उसे कोई भी राशि नहीं मिल सकती। यदि वह कार्यरत रहता और मृत्यु होती तो केवल 25 हजार रूपये मिलता। अन्य प्रकरण में आवेदिका का तलाक का मामला न्यायालय में चलने की वजह से प्रकरण को नस्तीबद्ध किया जाता हैं।

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पांच लाख रूपये का बैंक स्टेटमेंट प्रस्तुत करने कहा गया

एक अन्य प्रकरण में एएसआई के विरूद्ध शारीरिक शोषण की शिकायत प्राप्त हुई। इसमें अनावेदक ने बताया कि उसने आवेदक के बैंक खाते में पांच लाख रूपये जमा कर दिए हैं। दोनों पक्षों को समझाईश दिया गया कि अपना-अपना बैंक दस्तावेज प्रमाणित प्रतिलिपि के साथ महिला आयोग रायपुर में उपस्थित हो, ताकि सुनवाई किया जा सके।

एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों ने यह बताया कि उनका प्रकरण नामांतरण के लिए चल रहा है। आवेदिका का कथन है कि उसे 06 एकड़ जमीन गांव की ओर से बोने के लिए मिल गया है और उसके 04 बस जो उसके पति चलवाते थे, वह अब तक नहीं मिला और बसों का परमिट का नवीनीकरण नहीं करवाया। दोनों पक्षों की उपस्थिति पर रायपुर में सुनवाई की प्रक्रिया की जावेगी। अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों को कई बार समझाईश दी गई तथा स्टॉम्प मे लिखा-पढ़ी के बाद भी समझौता करने को तैयार नहीं है। इस आधार पर आयोग से प्रकरण को नस्तीबद्ध किया जाता है।