मुरिया दरबार मे राज्य के मुखिया ने की शिरकत.. पारम्परिक रीति -रिवाजों का किया निर्वहन.. 75 दिनों के दहशरे का हुआ समापन!..

जगदलपुर..विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा प्राचीनकाल के रीति रिवाजों से परिपूर्ण है..और बस्तर दशहरा75 दिनों तक आयोजित किया जाता है..जिसमे बस्तर राज परिवार के अलावा स्थानीय प्रशासन शिरकत करता है.. वही बस्तर दशहरे के अंतिम स्वरूप में मुरिया दरबार का आयोजन किया जाता है..जिसमे सवैधानिक दृष्टिकोण से राज्य मुखिया यानी मुख्यमंत्री शामिल होते रहे है..और इसी कड़ी में आज मुरिया दरबार मे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल हुए थे..मुख्यमंत्री भूपेश ने मुरिया दरबार के बाद बस्तर दशहरे को अपना अहम योगदान देने वाले मांझी -चालकी, मेम्बर मेम्बरीन के साथ भोजन किया..इसमें दिलचस्प यह है कि..इससे पूर्व मुरिया दरबार मे सम्मिलित होने आए अतिथियों ने बस्तर दशहरे के मुख्य अंश रहे मांझी -चालको व मेंबर -मेम्बरीन के साथ भोजन नही किया ।

दअरसल बस्तर दशहरा अपने आप मे आकर्षण केंद्र है..जहाँ 75 दिनों तक तमाम तरह की रस्म अदायगी बस्तर राजपरिवार व जिला प्रशासन की मौजूदगी में सम्पन्न होते है..और प्राचीनकाल से चली आ रही मान्यताओं के आधार पर इस 75 दिनों के महोत्सव के अंत मे राजा मुरिया दरबार शिहासार भवन में अपनी प्रजा की समस्याएं सुनते है..और लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत बस्तर दशहरा के अंतिम दिन मुरिया दरबार का आयोजन किया जाता है..जिसमे बस्तर राज परिवार के सदस्यों के अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल होते है..और जनता की समस्याओं को सुनते है..

वही इसी क्रम में आज शिहासार भवन में प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जनता की समस्याएं सुनी..जिसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मांझी -चालकी,मेंबर-मेम्बरीन के साथ ऑफिसर मेस जगदलपुर में भोजन किया.. इस दौरान बस्तर राजपरिवार के सदस्य व प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम,आबकारी मंत्री कवासी लखमा,बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष बस्तर सांसद दीपक बैज समेत अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे..