बलरामपुर : नक्सली ने सरगुजा आईजी के सामने किया आत्मसमर्पण

कुसमी(बलरामपुर) 02 अप्रैल

  • आत्मसमर्पण के बाद नक्सली ने आप बीती सुनाई
  • सरगुजा आईजी श्री लांगकुवेर को सुनाई नक्सली दमन की व्यथा,

आज बुधवार 2 अप्रैल को पुलिस महानिरीक्षक टी.जे. नांगकुवेर  ,,  पुलिस अधीक्षक बलरामपुर जी.एस.दर्रो ,, रि.पु.बल 81 बटालियन के कमाण्डेंट अखिलेश कुमार सिंह के समक्ष व एसडीओपी रविन्द्र सिंह मरावी के निर्देष में थाना सामरी पाठ में एफ/81 बटा. केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल व थाना कुसमी के बढते दबाव के कारण एवं अपने संगठन से क्षुब्ध होकर एंव शासन की पुनर्वास निति के चलते नक्सली ने आत्मसर्मपण किया ।

पुलिस के जारी विज्ञप्ति में बताया कि अरूण उर्फ उमेष  उर्फ  चरकु उर्फ चरका नगेसिया 23 वर्ष  ग्राम चुनचुना थाना – सामरी पाठ, जिला – बलरामपुर      (छ0ग0) का निवासी है जो वर्ष 2008 शेखर कोरवा नक्सली कमाण्डर व ओली पटेल तथा तुल्ला मिया (पुन्दाग) के द्वारा डरा धका कर जबरन एल.जी.एस में सामील किया गया था तब से अभी तक सक्रीय रूप से नक्सली सगंठन सी.पी.आई (एम) कैडर के रूप मे कार्यरत था इसका कार्य क्षेत्र झारखण्ड तथा उत्तरी छत्तीसगढ का बोर्डर इलाका रहा है ।

उक्त नक्सली ने 2010 में कुमण्डी जंगल लातेहार (झारखण्ड) में 315 बोर, इन्सास रायफल, एस.एल.आर रायफल चलान और पुर्ण रूप से गुरिल्ला वार टेक्सीस का प्रषीक्षण लिया, पहली बार इन्द्रजीत के दस्ता के साथ वर्ष 2010 में बोहरा कुमण्डी लातेहार के जंगल में पुलिस के साथ मुठभेड मे सामील था, जिसमें कंचन व दिवाकर दो नक्सली मारे गए थे। दुसरी बार वर्ष 2010 में ही पवन नक्सली कमाण्डर के दस्तें में शामिल था,, जो मुठभेड पुलिस के साथ सरजु घाट लातेहार मे हुआ था जिसमें नक्सलीयो को कोई नुकसान नही हुआ था। तीसरी बार पवन नक्सली कमाण्डर के दस्ते में ही था तब पुलिस के साथ सरजु भैसवार – गारू थाना लातेहार में मुठभेड हुआ उस समय भी नक्सली को कोई नुकसान नही हुआ, चैथी बार वर्ष 2013 मे कुमण्डी रेलवे स्टेषन के पास पुलिस के साथ मुठभेड हुआ , उस मुठभेड में भी यह सक्रीय रूप से सामिल था इस मुठभेड में लखन, रोहीत, व संजय सहीत कुल तीन नक्सली मारे गये थे।

समर्पित नक्सली के अनुसार

ओली पटेल चुनचुना , देवचन्द यादव- पीपर ढाबा, तुल्ला मीया और युनुस खान- पुन्दाग, संगठन के हीतैसी है जो नक्सलियो को संरक्षण देते है। तथा इनको हर प्रकार से मदद करते है जैसे राशन,पानी,हथियार व गोला-बारूद का रख रखाव (या सप्लाई), नये लडको को डरा धमका कर संगठन में सामिल करवाना व लेवी का पैसा वसूल कर उच्च नक्सली कमाण्डर तक पहुंचाने का कार्य करते है,,

आत्मसमर्पित नक्सली को कमाण्डर से सम्बंधित फोटो एलबम दिखा कर पहचान करवाया गया व उनके बारे में पुछा गया जिन्हे भली भांति पहचान कर उनके बारे में बताया जैसे – निषांत उर्फ अरविन्द उर्फ देव कुमार, वीर साय उर्फ अनील उर्फ उमेष, बडा विकास उर्फ बालेष्वर उर्फ विनय उरांव, जगदीष बुढा उर्फ बुढा यादव, अक्षय कोरवा, ओली पटेल, तुल्ला मीया, सागर यादव, जयराम यादव, रामप्रीत यादव,श्रवण यादव इत्यादि  है।

अरुण नगेशिया के अनुसार नक्सलियो में व्यक्तिगत स्वार्थ अधिक हो गया है,  जिसके कारण व जनता के हित मे कार्य नही कर रहे है। इनका मुख्य कार्य पैसा वसुली कर पूंजी जमा करना और आम जनता को गुमराह करना है,,  जिसमें अरविन्द, बढा विकास , जगदीश बुढा मुख्य रूप से शामिल है  ,, नक्सलियो अब पुलिस एंव सीआरपीएफ के दबाव के चलते  उन्ही ग्राम वासीया को प्रताडित करने लगे है जिनके वो  कभी अपना हितैषी बताते थे।  नक्सली अपने स्वार्थ के चलते  गाँव में विकास नही होने दे रहे है, मूल भूत आवश्यकताएं, स्कूल, अस्पताल, रोड, आदि से ग्रामवासी नक्सलियो के चलते आज भी दूर है। साथ ही नीचे सदस्यो को परिवार से दूर रखने तथा नक्सली दलम से दूर होने पर जान से मार देने की धमकी देते है ,, इन्ही कारणो एंव दबाव पूर्वक नक्सली संगठन में, कार्य कराने के चलते एंव गाँव के सामील सदस्यो को कोई विशेष महत्व न देने के चलते प्रशासन की निति एंव समाज के मुख्य धारा मे जुडने हेतु नक्सली अरूण ने आत्मसमर्पण किया है ।

 

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