संध्या राजपूत हत्याकांड: 22 दिनों तक सौ से ज्यादा लोगों से पूछताछ, 200 सीसीटीवी खंगाले गए, तब पकड़ में आया हत्या का आरोपी



बालोद। संध्या राजपूत हत्याकांड में 22 दिनों तक चली जांच के बाद पुलिस को सफलता मिल गई। आरोप में भालूकोना के विकास यादव नामक युवक को गिरफ्तार किया गया है। आरोपित ने हत्या की जो कहानी पुलिस को सुनाई, उसके अनुसार, मृतिका के बार-बार घर बुलाने और फंसा देने की धमकी से परेशान होकर उसने हत्या की है। मृतिका के पिता का कहना है कि भले ही ही हत्या विकास ने की हो, पर इसके पीछे और भी लोग हैं। उन्होंने पैसे के लेन-देन को लेकर हत्या होने का आरोप लगाया गै।

सायबर सेल टीम व थाना अर्जुंदा पुलिस 22 दिनो की कड़ी मेहनत के बाद अंधे कत्ल के आरोपी को पकड़ने में सफल हुई। आरोपी से घटना में प्रयुक्त चाकू व डंडा जब्त किया गया। जिला दुर्ग , बालोद व थाना अर्जुन्दा क्षेत्र के करीबन 200 से अधिक सीसीटीवी कैमरा का खंगाला गया था। ज्ञात हो कि मृतिका संध्या राजपूत के मकान के छत पर संध्या राजपूत का शव पीला चादर से ढका हुआ मिला। मृतिका के शव के आस-पास खून के गहरे निशान थे। चादर के बाहर मृतिका के दोनो पंजे दिख रहे थे।

विवेचना के दौरान थाना अर्जुंदा की पुलिस व साइबर सेल की टीम द्वारा घटनास्थल ग्राम भालुकोन्हा में रहकर करीबन 300 से अधिक लोगो से पूछताछ की गई। लगातार 22 दिनो तक जांच के बाद पुलिस को सफलता मिली। ग्राम भालुकोन्हा के विकास कुमार यादव के नंबर का संदेह घटना दिनांक में अधिक समय तक चलने से संदेह के आधार पर उससे कड़ाई से पूछताछ करने पर घटना कारित करना स्वीकार किया।

आरोपित ने बताया कि फंसा देने की धमकी देने से आरोपी क्षुब्ध होकर आक्रोश में आकर मृतिका की हत्या की थी। अपराध में उपयोग में लाये चाकू व लडकी के बेट को खरखरा नहर नाली के शाखा नाली के किनारे फेक दिया था। अपराध के समय पहने कपडे शर्ट को 29 जुलाई को गुण्डरदेही बस स्टैण्ड जाकर जला दिया था। आरोपित द्वारा अपराध स्वीकार करने तथा आरोपी के पर्याप्त साक्ष्य सबूत पाये जाने से आरोपी विकास कुमार यादव पिता गोपीचंद यादव, उम्र-20 वर्ष, साकिन भालूकोन्हा, थाना अर्जुन्दा, जिला बालोद को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेजा गया।

संध्या राजपूत के पिता रघुवीर सिंह राठौर का कहना है कि असली अपराधी कोई और है। रघुवीर सिंह राठौर ने नईदुनिया को बताया कि हो सकता है विकास यादव ने हत्या की हो, लेकिन इसके पीछे किसी और का हाथ है। उन्होंने बताया कि जिस मकान में संध्या रहती थी उस मकान को खरीदने के लिए साढ़े 4 लाख रुपए संध्या को दिया गया था। जिसे उन्होंने एडीओ भुवन साहू के माध्यम से मकान मालिक रेखलाल साहू को दी थी।

रघुवीर सिंह का कहना है कि पैसे देने के बावजूद यह मकान एडीओ के नाम पर लिखापढ़ी की गई थी जो कई संदेहों को जन्म देता है। मकान बेचने वाले रेललाल साहू और भालू कोना के सरपंच हेमंत साहू का कहना है कि यह आबादी पट्टा वाली जमीन है इसका स्टाम्प पेपर में बिक्री की लिखा-पढ़ी की गई है जो एडीओ भुवन साहू के नाम पर है। इस संबंध में भुवन साहू से नई दुनिया ने बात की तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। साथ ही कहा कि उन्हें कुछ भी कहने से मना किया गया है। इस सम्बन्ध में रघुवीर सिंह राठौर का कहना है कि वे उच्चाधिकारी से जाँच की मांग करेंगे।