हद है “अदानी की मनमानी” का समर्थन नहीं किया. तो मासूमो को बीच रास्ते बस से उतारा .

*बाल अधिकार अधिनियम की उड़ाई जा रही धज्जियां
*जनसुनवाई में प्रस्तावित खदान का समर्थन नहीं करने पर स्कूली बच्चों को कंपनी की बस से उतारा सैकड़ों बच्चे नहीं पहुंच पाए स्कूल

अम्बिकापुर (उदयपुर से क्रांति रावत) विकास खण्ड उदयपुर अंतर्गत ग्राम घाटबर्रा में अदानी की स्कूल बस से स्कूल जाने वाले बच्चों को जन सुनवाई में प्रस्तावित खदान का समर्थन नहीं करने का हवाला देकर कंपनी के कर्मचारियों ने बस से उतार दिया. कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों के इस कृत्य से शुक्रवार को सैकड़ों स्कूली बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पाए. इस संबंध में कक्षा सांतवी में पढ़ने वाली छात्रा मुस्कान के पिता हरिनारायण यादव ने बताया कि रोजाना की तरह अपने अपने घरों से तैयार होकर नियत समय पर सड़क के किनारे खड़े होकर बस का इंतजार करने लगे जैसे ही बस आयी कुछ बच्चे सवार हुए और बस थोड़ी दूर गयी तभी कंपनी में काम करने वाले शख्स ने बस को रूकवाकर उसमें सवार बच्चों को बस से उतरने को कहा. कारण पूछने पर बताया कि जब अदानी का समर्थन नहीं करते हो तो उसका लाभ क्यों ले रहे हो. बस से उतरो ऐसा कहकर बच्चों को बीच रास्ते में ही उतार दिया. बस खाली करवाकर उसे वापस अदानी विद्या मंदिर भेज दिया गया. कंपनी की बस से क्षेत्र के सैकड़ों बच्चे स्कूल आना जाना करते है उनमें कुछ अदानी विद्या मंदिर में जातेे है और कुछ बच्चे शासकीय विद्यालयों में जाते है. मार्च महीने के प्रारंभ में परीक्षाएं होने वाली है और शुक्रवार को स्कूल नहीं पहुंचने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई। कंपनी प्रबंधन और अभिभावकों के इस कशमकश से बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है.

परिजनों द्वारा कंपनी के अधिकारी रितेश गौतम को तत्काल इस संबंध में मोबाईल के माध्यम से जानकारी दी गई जिस पर उन्होने कहा कि हमारे द्वारा गाड़ी नहीं रोका गया है. कंपनी प्रबंधन के लोगों को सुबह ही बच्चों को बस से उतारने की जानकारी होने के बाद भी बच्चों के लिए स्कूल तक पहुंचने की कोई व्यवस्था नहीं बनाना इनके गैर जिम्मेदाराना रवैये को दर्शाता है. परिजनों ने चर्चा के दौरान बताया कि यदि स्कूल बच्चों को नहीं ले जाना था तो सुबह बस भेजा ही क्यों? भेजा भी तो बस में बैठाने के बाद उतारा क्यों?

बाल अधिकार अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत बच्चों के लिए कार्य करने वाली सभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को बच्चों के सर्वाेत्तम हित के लिए कार्य किए जाने का प्रावधान है. इसी अधिनियम की धारा 37 के अंतर्गत बच्चों के साथ किसी भी तरह का निर्दयतापूर्ण, अमानवीय, कठोर या अपमानजनक व्यवहार नहीं किये जाने का भी प्रावधान है. परंतु कंपनी द्वारा इसे भी दरकिनार कर दिया गया।