बच्चो के हाथो” कागज,कलम,दवात” की जगह “फावडा,तगाडी और बेलचा”

SURGUJA STUDENT LABOR
SURGUJA STUDENT LABOR
सर्व शिक्षा और स्कूल चले हम नारे निर्थक…
मजदूरी की शिक्षा दे रहे है शिक्षक
बाल श्रम कानून का शिक्षक ही कर रहे है उल्लधंन
अम्बिकापुर से मनीष सोनी की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ प्रदेश में शिक्षा के स्तर का सच,, योजना आयोग की आई रिपोर्ट के बाद किसी से छुपी नहीं है। फिर भी स्कूलों में शिक्षा को बढ़ाने या अपने कर्त्तव्यों को लेकर शिक्षक वर्ग कितना उदासीन ये सर्वविदित है। स्कूलों में बच्चे आते हैं  और उनको कितनी बेहतर तालीम मिवती है ये सुदूर अंचल के गावों में जाने से ही पता चलता है।  ऐसा ही कडवा सच एक स्कूल मे नज़र आया ,, जो सरगुजा मुख्यालय से कुछ दूर पर स्थित सकलो में है ,, जंहा के शिक्षक बच्चो के हाथो मे कागज ,कलम, दवात की जगह ,,, फावडा ,तगाडी और बेलचा पकडाने का अभ्यास करा रहे है।

 

SCHOOL LABOUR 3
ये मासूम प्रायमरी स्कूल के बच्चे अपने हाथों में कुदाल लेकर अपने स्कूल के आस पास कि सफाई कर रहे हैं ,या यू कहे कि स्कूल प्रबंधन की मजदूरी की रकम बचा रहे है। ऐसा कहना इसलिए उचित है कि यहाँ के ग्रामीण इन स्कूली बच्चों कि हमेशा ऐसी मजदूरी करते देखते हैं। 

 

           

कैमरे मे तस्वीर खींचते ही स्कूल के हेडमास्टर ने बच्चो को फावडा सहित स्कूल के अंदर भेज दिया, जबकि इससे पहले ये बच्चे स्कूल कैंपस के बाहर पडे ईंटो और मिट्टी के ढेर को हटा रहे थे,, लेकिन जब हमने कुदाल चलाने वाले बच्चे से पूछा कि पहले भी ऐसा काम किये हो तो

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अपने शिक्षक के डर के वजह से बच्चे ने कुछ नही कहा ,, पर उसकी आँखों ने ये इशारा जरूर कर दिया कि अभी अपने सर जी के सामने ये कुछ नहीं बोलेगा। 

 

 
इधर जब इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी से बात कर उनसे पूछा गया तो ऐसा लगा जैसे उन्हें सांप सूंघ गया हो ,ऐसा लगा जैसे हमने क्या सवाल

SURGUJA STUDENT LABOR
DEO SURGUJA

कर दिया ,पर पूरी कहानी सुनने के बाद उनका जवाब था कि आप बता रहे है तो कारवाही करना पडेगा,, लेकिन इसी दौरान जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमति अगस्टीन खलको ने कहा कि थोडा मोडा काम, जैसे झाडू लगवाया जा सकता है क्योकि प्रायमरी स्कूलो मे प्यून नही होता है।

 

 

 

बहरहाल सरगुजा के स्कूलो में इस तरह के नज़ारे आम हो चुके है । पर सम्बंधित विभाग के अधिकारियों कि दशा और उनके गैरजिम्मेदाराना हरकत को  देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों का भविष्य कितना उज्जवल है।