बंद दाल भात केन्द्र मे भी तो बन सकता है गार्बेज कैफे.. तो फिर विवाद क्यो ?

अम्बिकापुर प्लास्टिक लाओ फुल पेट खाना खाओ.. अम्बिकापुर नगर निगम की इस महत्वाकांक्षी योजना पर चौतरफा बवाल की स्थिती बन गई है.. एक तरफ जहां इसका बस स्टैंड के बुकिंग एजेंट विरोध करना शरु कर चुके हैं. तो वही दूसरी ओर पूर्व महापौर ने इसे गरीब कचरा बिनने वालो का मजाक उडाने वाली योजना बता कर चुटकी ली है.. जबकि प्रदेश के स्वास्थ मंत्री ने अम्बिकापुर मे बनने वाले गार्बेज कैफे को अंतराष्ट्रीय चर्चा का विषय बताकर किसी भी विवाद से इंकार कर दिया है..

गीला कचरा .. सूखा कचरा का घर घर कलेक्शन करके चर्चा मे आए अम्बिकापुर नगर निगम अपनी गार्बेज कैफे योजना को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रहा है.. लेकिन गार्बेज कैफे बनाने के लिए चयनित स्थान निगम प्रबंधन के उत्साह मे खलल पैदा कर रहा है. दरअसल प्लास्टिक लाओ और फुल पेट भोजन नास्ता खाओ योजना के तहत .. नगर निगम प्रबंधन ने अंतराज्यीय प्रतीक्षा बस स्टैंड के उस स्थान का चयन किया है. जहां अभी तक निजी बसो के ऐजेंट बस की बुकिंग करते थे.. लेकिन अब उस स्थान पर गार्बेज कैफे बनाकर.. प्लास्टिक लाने वालो को खाना परोसने के लिए निगम प्रबंधन गार्बेज कैफे बना रहा है.. जिसको लेकर बस एजेंट का एक बडा समूह इसका विरोध कर रहा है..

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विरोध करते बस बुकिंग ऐजेंट

गार्बेज कैफे के लिए चयनित स्थान पर उपजे विरोध के स्वर को लेकर पूर्व महापौर और भाजपा नेता प्रबोध मिंज ने भी आपत्ति जताई है.. उनके मुताबिक शहर मे प्लास्टिक लाओ खाना खाओ की योजना , गरीब कचरा बिनने वालो को अपमानित करने वाली योजना है. क्योकि दिन भर धूप मे घूम घूम कर कचरा बिनने वालो को 30-40 रुपए का खाना खिलाया जाएगा.. जबकि इससे पहले चल रही दाल भाल केन्द्र को बंद कर दिया गया है.. इतना ही नही पूर्व महापौर ने कहा कि गार्बेज सेंटर के निर्माण के लिए निगम प्रबंधन फिजूल खर्ची कर रही है. जिसका उपयोग गरीब लोगो की बेहतरी के लिए किया जा सकता है..

पूर्व महापौर की इस आपत्ति और बस बुकिंग एजेंटो के विरोध के बीच ही शुक्रवार को प्रदेश के स्वास्थ मंत्री और स्थानिय विधायक टी एस सिंहदेव भी आज प्रतीक्षा बस स्टैंड पहुंचे औऱ उन्होने गार्बेज कैफे के निर्माण कार्य का जायजा लिया. लेकिन स्थान चयन के विरोध की बात पर उन्होने स्पष्ट किया कि गार्बेज कैफे की योजना अंतराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गई है. इसके लिए जगह मिलना चाहिए.. मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होने गार्बेज कैफे की सोंच पर महापौर की तारीफ करते हुए . किसी तरह के विवाद की बात से पलडा छाड लिया है..

स्वच्छता को लेकर पिछले तीन चार वर्षो से चर्चा मे आए अम्बिकापुर नगर निगम की गार्बेज कैफे योजना एक तरफ शुरु होने से पहले ही पूरे देश मे चर्चा का विषय बनी हुई है.. तो दूसरी ओर कैफे के लिए चयनित स्थान से उपजे विरोध के स्वर ने निगम प्रबंधन को ना चाहते हुए भी मुश्किल मे डाल दिया है… क्योकि सवाल तो यही है कि गार्बेज कैफे के लिए शहर के उन स्थानो का भी चयन हो सकता था.. जहां पर पिछले महीनो मे संचालित दाल भात केन्द्र को बंद कर दिया गया है.. बहरहाल देखना है कि गार्बेज कैफे से वाहवाही लूटने की जिद मे निगम प्रबंधन और निगम की सत्ता मे काबिज दल को कितना नुकसान होता है..