संचार क्रांति ने चिट्ठी के प्रचलन को छोड़ा पीछे.. पोस्टबाक्स मे लग रहा है जंग

परिवर्तन – फेसबुक, ट्विटर, मोबाइल ने परंपरागत चिट्ठी के चलन को किया बाहर।

संचार क्रांति ने परंपरागत चलन पर लगाया विराम

डाकियो का काम हुआ कम… 

पोस्टबाक्स पडे सूने… 

 

 

[starlist]चिरमिरी(कोरिया)  रवि सावरे की रिपोर्ट[/starlist]

आज संचार क्रांति के बढ़ते परिवेश में भले ही मीलों की दुरी को पल भर में खत्म करने की अहम भूमिका निभाई हो, लेकिन आज भी ग्रामिण अंचलों में संचार क्रांति का अभाव होने से ग्रामीण वही वर्शों पुरानी परंपरा के अनुसार चिट्ठी के माध्यम से ही संदेष भेजने में भरोसा रखते हैं। ग्रामीणों के द्वारा लिखी गई चिट्ठी को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए वर्षो पूर्व डाक विभाग द्वारा गांव-गांव में पत्र पेटियां लगाने का कार्य किया गया था, लेकिन समय के साथ-साथ पेटियों की हालत भी बेहद खराब हो गई है हालत यह हो गई है कि इन पेटियों को खोलना तो दूर लोग देखने से भी परहेज किया जाने लगा है। एक समय था कि डाकघरों में चिटठी लेने व भेजने वालों की लम्बी कतारें लगी रहती थी आज डाक घरों में विरानी छाए रहती है।

 

 

lb 1जीर्णशीर्ण हालत में पंहुच चुकी इन पत्र पेटियों को बदलने का कार्य भी डाक विभाग द्वारा नहीं किया जा रहा है जिससे डाक विभाग की लचर कार्यप्रणाली जहां उजागर हो रही है वहीं लोगों को समय पर संदेष नहीं मिलने की षिकायतें भी बार-बार सामने आती है। जिले में एक प्रमुख डाक घर, 5 सब डाक घर एवं 50 शाखा डाक घर होने के बावजूद भी जर्जर पत्रा पेटियों को हटाकर नई पेटियां लगाने कोई पहल नहीं की जा रही है।

 

ग्रामीण अंचलों में चरमरा रही डाक सेवा का ही नतीजा है कि युवाओं द्वारा विभिन्न कंपनियों एवं विभाग में रोजगार पाने के लिए दिए जाने वाले आवेदनों के काल लेटर भी उन्हें तिथि निकलने के बाद ही प्राप्त होते हैं। यह नजारा शादी-विवाह सहित अन्य कार्यक्रमों के आमंत्रण पत्रों के साथ भी होता है। वर्षों पुराने नियमों पर चल रहे विभाग को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने की आवष्यकता है ताकि लोगों को आसानी से सुविधा प्राप्त हो सके।

 

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संसाधनों का बढ़ रहा चलन

संचार क्रांति के बढ़ते कदमों से जहां लोग मोबाईल, एसएमएस सहित अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं वहीं डाक विभाग वर्षों पुरानी कार्य प्रणाली अपनाए हुए हैं। इससे लोगों को डाक विभाग की त्वरित सुविधा का लाभ ही नहीं मिल पाता है।
हप्तों नहीं खुलती पेटियां- जब से मोबाइल आए हैं तब से डाक घरों के कर्मचारियों को सुकून मिल गया है। वर्षों पहले डाक घरों में चिट्ठियों की भरमार रहती थी, किन्तु आज डाक घरों में चिट्ठिया कम ही पहुंचती हैं और पहुंचती है तो कर्मचारियों की लापरवाही के कारण चिट्ठियां समय पर नहीं मिलती। नगर में पहले जगह-जगह लेटर बाॅक्स लगे थे परंतु आज हाल यह है कि कुल एक या दो लेटर बाॅक्स मिलेंगे जिनको हफ्तों तक खोला नहीं जाता है और यह बाॅक्स भी जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुंच गए हैं।

 

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जिले में पोस्ट आँफिसों की स्थिति एक नजर में 
जिले में एक मुख्य डाकघर बैकुण्ठपुर जिला मुख्यालय में संचालित है इसके अलावा 6 उपडाकघर क्रमशःचिरिमिरी, मनेन्द्रगढ़, खड़गवां, सोनहत, जनकपुर, पटना में संचालित हैं।चिरिमिरी उपडाक घर में 10, मनेन्द्रगढ़ में 5, जानकपुर में 13, चरचा में 4, पटना में 8 तथा बैकुण्ठपुर मुख्य डाकघर में 8 शाखा डाकघर संचालित हैं। जिले में कुल 200 के लगभग लेटर बाॅक्स लगे हुए हैं जिनमे से अधिकांश पुराने हैं।
पोस्ट मास्टर चिरमिरी चिट्ठी का चलन घटा – समय के साथ बढते हुए टेक्नोलाँजी ने चिट्ठी के चलन को काफी कम कर दिया है। अब तो लोगों को इंटरनेट पर हर चिज उपलब्ध हो जाता है। एक क्लिक में तुरंत मेसेज अगले व्यक्ति के पास पहुंच जाता है। व्यक्तिगत पत्रों का चलन कम हो गया है व्यापारिक डाक बहुत ज्यादा बढ़ी है। लेटर बाँक्स को बदलने की प्रक्रिया शुरू है।