पन्द्रह बरसो में कुपोषण की लड़ाई में..सीएम के गृह जिले ने लहराया परचम..19 फीसदी की आई गिरावट..

कवर्धा कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले ने बेमिसाल 15 बरसों के भीतर शानदार कामयाबी का परचम लहराया है। कुपोषण के खिलाफ आंगनबाडी और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की इस साझा लड़ाई में यह जिला जीत की ओर आगे बढ़ गया हैं। कुपोषण के खिलाफ चल रहे इस मुहिम में अभियान में कुपोषण का दर 47 फीसदी से घट कर 27 फीसदी के नीचे लगातार घट रहा हैं। इन 15 वर्षों में जिले में बच्चों में कुपोषण का दर 19 फीसदी की कमी देखी जा रही है। कुपोषण के खिलाफ इस मुहिम में जिले के 1517 आंगनबाड़ी, 116 मिनी आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य अमलों में बखूबी अंजाम दिया जा रहा हैं। कबीरधाम जिले के कुपोषण मुक्त जिला बनाने के लिए जिले 145 उपस्वास्थ्य केन्द्र, 25 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा 5 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों सहित ग्रामीण अंचलों में सेवाए दे रहे सौकडों स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने भी कमर कस ली है। पंडरिया विकासखण्ड मुख्यालय में 50 बिस्तर वाली मातृ-शिशु अस्पताल बन कर तैयार हो गया है,अब वहां आदिवासी बैगा बाहूल्य पंडरिया विकासखण्ड के सुदूर वनांचल क्षेत्रों में निवासरत बैगा परिवारों को इन मातृ-शिशु अस्पताल का विशेष लाभ भी मिलेगा। विकासयात्रा के दौरान मुख्यमंत्री श्री डॉ.रमन सिंह द्वारा इस मातृ-शिशु अस्पताल का लोकार्षण भी किया गया है। जिले में इन वर्षों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए अनेक कार्यक्रम और योजनाएं चलाई जा रही है, जिसके परिणाममूलक बहेतर परिणाम भी आने लगे है। इन बरसों में जिले में तेजी से स्वास्थ्य सुविधाओं का भी विस्तार किया गया है। जिले को कुपोषण से मुक्त कराने की इस मुहिम में ग्राम स्तर पर स्वाथ्य मितानिन,रोजगार सहायक, सारक्षता प्रेरकों और ग्राम सचिवों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
छत्तीसगढ़ सरकार की महिला एवं बाल विकास विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयासों से जिले में जन्म-मृत्यु दर कम करने के लिए अनेक योजनाएं संचालित है। इसी प्रकार कुपोषण मुक्त मुक्त राज्य बनाने के संकल्पों के साथ जिले में बेहतर ढंग से आंगनबाड़ी केन्द्रो के माध्यम से जहां आंगनबाड़ी बच्चों को गर्म पका हुआ पौष्टिक आहार दिया जाता है वही गर्भवती माताओं को भी पौष्टिक आहार उपलबध कराया जा रहा है। जिले में महतारी जनत योजना के तहत 4389 माताओं को लाभान्वित किया गया है। महतारी जतन योजना के तहत गर्भवती माताओं को आंगनबाड़ी केन्द्रों में सप्ताह में छह दिन गर्म और पौष्टिक भोजन देने की व्यवस्था की गई है और मुख्यमंत्री अमृत येजना के तहत इन केन्द्रों में बच्चों को पौष्टिक और सुंगधित दूध भी दिया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से टीकाकरण कार्यक्रम, जननी और शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, शिशु संरक्षण माह आदि का आयोजन किया जा रहा है। माताओं को खून में आयरन की कमी दूर करने के लिए फोलिक एसिड टेबलेट दिए जा रहे हैं। शिक्षा विभाग के सहयोग से किशोरी बालिकाओं के कुपोषण को दूर करने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं। नवाजतन योजना के तहत 4165 बच्चों को पौष्टिक आहार से लाभान्वित किया गया है। आंगनबाड़ी में दर्ज बच्चों हजारों बच्चों के इस योजना का लाभ भी दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के तहत कुपोषित एवं अन्य संकट पीड़ित 7 हजार 192 बच्चों को लाभ दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा बच्चों के सेहद के स्वस्थ्य तथा अन्य बीमारियों से ग्रसित बच्चों को बचपन को खुशहाल बनाने के लिए बाल हृदय योजना के तहत 48 बच्चों का सफल उपचार किया गया है। संजीवनी योजना के तहत 188, ऑपरेशन मुस्कान योजना से 13 बच्चों को लाभ दिया गया है। वजन त्यौहार एवं रेडी-टू ईट पौष्टिक आहार योजना का लाभ 91 हजार से अधिक बच्चों को लाभ पहुंचाय जा रहा है।,गर्भवती माताओं के लिए महतारी एक्सप्रेस येजना के तहत लाभान्वितों की संख्या 36500 हो गई है। चिरायु योजना के तहत अब तक 169073 बच्चों को लाभ पहुंचाया गया है। संजीवनी एक्सप्रेस योजना 108 के तहत 15 हजार से अधिक लोगों को लाभान्ति किया गया है। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की प्रोत्साहन योजना भी संचालित की जा रही है। जिले में संस्थागत 20 प्रतिशत से बढ़कर 96 प्रतिशत हो गई है। इसके अलावा जिले में कुपोषण मुक्त जिला बनाने के लिए जिला अस्पताल सहित समुदायिक स्वास्थ्य केर्न्द्रों में पोषण पुर्नवास केन्द्रों की स्थापना किया गया हैं, ताकि जिले के आदिवासी बैगा बाहूल्य विकासखण्डों के औसत से कम वजन वालो बच्चों को चिंहाकिंत कर उनका बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलबध कराई जा सके और उनका वजन औसत दर्ज कर किया जा सके। इन सभी कार्यक्रमों और येजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के परिणाम मूलक परिणाम में देखे जा रहे है।
जिले में बहेतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए 15 वर्षों में 22 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोले गए हैं अब जिले में 10 से बढ़कर 25 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की संख्या हो गई है। उपस्वास्थ्य केन्द्रो की संख्या 145 हो गई है। इसी प्रकार चार विकासखण्ड वालों इस जिले में 5 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खोले गए है।