यूटीआई शेयर घोटाला मे प्रभारी आयुक्त और महापौर पर कार्यवाही

चिरमिरी रवि कुमार सावरे की रिपोर्ट

  • चिरमिरी निगम के बहुचर्चित यूटीआई धोटाला का मामला…
  • यह खबर समाचार पत्रों की सूर्खिया रहा है..
  • छ0ग0 राज्य सरकार ने की कार्यवाही..
  • चिरमिरी न्यायालय में प्रकरण लंबित है..

 

चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकत्र्ता राजकुमार मिश्रा को सूचना का अधिकार पर प्रदान किये गये जानकारी के अनुसार चिरमिरी निगम के बहुचर्चित यूटीआई धोटाले के आरोपियों प्रभारी आयुक्त प्रमोद शुक्ला, आर. पी. सोनकर व तात्कालिक महापौर डम्बरू बेहरा को  छ0ग0 राज्य सरकार द्वारा दोषी मानते हुए दण्डित किया गया है।
चिरमिरी निगम के तात्कालिक महापौर डम्बरू बेहरा के द्वारा प्रभारी आयुक्त प्रमोद शुक्ला व आर.पी. सोनकर के सहयोग से 2.5 करोड़ रू. का यूटीआई का शेयर खरीदा गया था।  इस संबंध में छ0ग0 राज्य सरकार के द्वारा विभागीय जांच की जा रही थी। इस संबंध में प्रमोद शुक्ला व आर.पी. सोनकर के द्वारा गौरव पथ की राषि से यूटीआई का यूनिट क्रय कर निकाय को आर्थिक क्षति पहुंचाने के कारण विभाग द्वारा दिनांक 03.05.2012 को आरोप पत्र जारी किया गया था। उनका प्रतिउत्तर समाधान कारक नही पाये जाने के कारण दिनांक 24.09.2012 को विभागीय जांच आरंभ किया गया था। सरकार द्वारा लगाये गये आरोप में पाया गया था कि चिरमिरी में गौरव पथ निर्माण हेतु शासन द्वारा दिये गए 4,55,80,000 रू. में से प्रमोद शुक्ला के कार्यकाल में 50 लाख और आर. पी. सोनकर के द्वारा 2 करोड़ रू से यूटीआई का शेयर खरीदा गया था। यदि प्रमोद शुक्ला के द्वारा इस राषि से यूटीआई का षेयर नही खरीदा गया होता तो सरकार को 5,35,536 रू. व आर. पी. सोनकर के द्वारा 2 करोेड़ का षेयर नही खरीदा गया होता तो सरकार को 6,14,782 रू. प्राप्त होते। इस कारण सरकार को हुई इस क्षति के लिए इन प्रभारी आयुक्तों से वसूली की कार्यवाही किया गया है इसके अतिरिक्त इन प्रभारी आयुक्तों को दो वेतन वृद्धियां संचयी प्रभाव से रोका गया है। इस जांच में तात्कालिक महापौर डम्बरू बेहरा को भी दण्डित किया गया है। पूर्व महापौर को पांच वर्षो के लिए महापौर या पार्षद पद पर निर्वाचन या मनोनय से रोक दिया गया है।
इस संबंध में हमारे प्रतिनिधि के पुछे जाने पर आरटीआई कार्यकत्र्ता ने बताया कि राज्य सरकार के द्वारा आयुक्तों को सजा करने के अलावा महापौर को सरकार के द्वारा बचाने की कुचेष्टा किया गया है। जो जांच वर्ष 2012 से आरंभ किया गया था, उसमें सजा महापौर का कार्यकाल पूरा होने के बाद दिया गया है यह सजा महापौर के कार्यकाल में दिया गया होता तो इस सजा का स्वरूप ही कुछ और होता। यह मामला अब न्यायालय में लंबित है देखना है ।

  • कार्यवाही संबधित दस्तावेज 12 13 14