मीना खलखो की हत्या के दोषी पुलिसकर्मियो की नामजद्द FIR के साथ गिरफ्तारी की मांग

अम्बिकापुर 

अविभाजित सरगुजा जिले के करचा गांव की मीना खलखो की मौत पुलिस की गोलियो से हुई थी,, और हत्या के पहले मीना के साथ बलात्कार किया गया था। लेकिन अब भी सवाल ये बना हुआ है कि आखिर किस किस पुलिस कर्मियो की गोलियो से निर्दोष मीना की मौत हुई थी ,और उनके खिलाफ नामजद्द मामला दर्ज क्यो नही हो रहा है ? हांलाकि मृतक मीना के वकील ने इन सवालो के साथ ये बात भी उठाई है कि जब न्यायिक जांच की रिपोर्ट आ चुकी है,, तो फिर उससे नीचली संस्था सीआईडी द्वारा जांच कराना न्याय व्यवस्था के साथ खिलवाड है।

अविभाजित सरगुजा जिले के घोर नक्सल प्रभावित गांव करचा मे ,, 6 जुलाई 2011 को चांदो पुलिस ने कथित नक्सली मुटभेड में 17 वर्षीय मीना खलखो को मौत के घाट उतार दिया था। जिसके बाद उसी रात चांदो थाना प्रभारी एन.खेस ने अपने करतूत छुपाने के लिए वीर साय ?????????????????????????????????????????????दस्ते से कथित मुटभेड की एफआईआर अपने ही थाने में दर्ज कर ली थी। हांलाकि बाद में मामले मे कांग्रेस ने इस बात को लेकर जमकर विरोध किया था कि मीना खलखो नक्सली नही थी और पुलिस कर्मियो ने उसके साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या की है। जिसके बाद तात्कालिक कलेक्टर ने मीना के परिवार को 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि दी थी। और फिर राज्य सरकार ने न्यायधीश अनीत झां की अध्यक्षता मे मीना खलखो न्यायिक जांच आयोग बनाया। और कुछ दिनो पहले जांच आयोग की रिपोर्ट आई,, जो अब तक सार्वजनिक नही की गई,, और ना ही दोषी पुलिस कर्मियो के खिलाफ नामजद्द एफआईआर दर्ज की गई। इतना ही नही चर्चाओ मे ये भी है कि न्यायिक जांच के बाद सीआईडी मामले की जांच करेगी। जिस पर मीना के अधिवक्ता जे.पी.श्रीवास्तवने सवाल उठाते हुए कहा कि जांच आयोग सीआईडी से वरिष्ट संस्था है,, लिहाजा न्यायिक जांच रिपोर्ट पर सीआईडी कैसे पैरवी कर सकती है ।

मीना के परिजनो के वकील जे.पी.श्रीवास्तव के मुताबिक जांच मे ये स्पष्ट है कि मीना की मौत पुलिस की गोलियो से हुई और हत्या के पहले उसके साथ बलात्कार हुआ तो फिर किसी और जांच के दोषी पुलिस कर्मियो के खिलाफ नामजद्द रिपोर्ट दर्ज कर सबकी गिरफ्तारी होनी चाहिए। इतना ही नही मीना हत्याकांड के वकील श्री श्रीवास्तव नें कहा कि जब घटना के बाद मीना के परिजनो को कलेक्टर ने आर्थिक MENA P2सहायता दी थी,, और पोस्टमार्डम रिपोर्ट में उसके साथ बलात्कार की पुष्टी हुई थी,, तभी सब साफ हो गया था कि मीना नक्सली नही थी। इधर अपनी नाबालिग बेटी को खो चुके मीना की मां गुटयारी बाई और पिता ने भी जांच आयोग की रिपोर्ट के बाद दोषी पुलिस कर्मियो की गिरफ्तारी की गुहार लगाई है,, साथ ही जांच के दौरान पुलिस कर्मियो द्वारा आर्थिक प्रलोभन देने का आरोप भी लगाया है।

पिछले चार वर्षो से हो रही न्यायिक जांच की रिपोर्ट आ चुकी है,, और जानकारी के मुताबिक राज्य शासन ने भी दोषी पुलिस कर्मियो के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुंशसा कर दी है,,, लेकिन दोषी पुलिस कर्मियो के नाम सार्वजनिक ना करने से मामले एक बार फिर गरमा रहा है ,, बहरहाल चांदो थाना प्रभारी द्वारा वारदात के बाद लिखी एफआईआर पर नजर डाले तो दोषियो के नाम स्पष्ट हो जाते है,,, जिसमें थाना प्रभारी एन खेस ने खुद एक.के 47 बंदूख से 6 राउण्ड , 12 बटालियन के आरक्षक क्रमांक 193 जीवन द्वारा एसएलआर से 1 राउण्ड और आरक्षक क्रमांक 203 द्वारा 4 राउण्ड फायर किया था। बस अंतर इतना हो सकता है कि उस समय पुलिस ने मीना को नक्सली बता कर,,, वारदात को इनकाउंटर का स्वरुप देने का प्रयास किया था,, और न्यायिक जांच आयोग ने उन्ही पुलिस कर्मियो को हत्या का दोषी करार दिया है………….