अमवार डेम के लिए दोनो राज्यो की सहमति हो सार्वजनिक : TS

अम्बिकापुर

छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के ग्राम अमवार में कनहर नदी पर निर्माणाधीन बांध से प्रभावितों में व्याप्त दहशत व फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिये नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंह देव ने मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह को पत्र लिखकर बांध निर्माण के लिये दोनों राज्य सरकारों के बीच हुई सहमति तथा समझौते को सार्वजनिक करने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंह देव ने मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि अविभाजित मध्यप्रदेश के तत्कालीन जल संसाधन मंत्री मानननीय श्री रामचन्द्र सिंह देव जी से प्राप्त जानकारीके अनुसार कनहर बांध के लिये 1980 के दशक में उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के बीच समझौता हुआ था। उक्त समझौते के अनुसार बांध के निर्माण में 263.4 हेक्टेयर भूमि बताई गई थी, जिसमें 50.44 हेक्टेयर भूमि ग्रामीणों की थी, शेष सरकारी भूमि ही डूब में आ रही थी, जिसमें महज 22 परिवार ही प्रभावित हो रहे थे। किन्तु विगत वर्षों 1999 तथा 2010-11 में संभवतः उक्त बांध के लिये किये गये समझौते की शर्तों में आवश्यकतानुसार बदलाव व परिवर्तन किये गये हैं तथा डूबान क्षेत्र में आने वाली भूमि व प्रभावित परिवारों की संख्या में भी व्यापक पैमाने में वृद्धि होने की जानकारी मिली है।

नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंह देव ने पत्र में लिखा है कि ऐसा ज्ञात हुआ है कि लगभग 18 किलोमीटर का रिंग बांध भी बनाया जाना प्रस्तावित है, जबकि वास्तविक समझौते में ऐसी कोई शर्त नहीं रखी गई है। अतः जनभावनाओं को ध्यान में रखकर छत्तीसगढ़ की राज्य सरकार कनहर बांध निर्माण हेतु मूल समझौते में क्या उसे सार्वजनिक करें ताकि आमजनों को उसकी वास्तविकता पता चल सके, उक्त समझौते में क्या-क्या बदलाव व परिवर्तन अब तक हुए है, रिंग बांध बनाये जाने का आधार और औचित्य क्या है समस्त जानकारी सार्वजनिक किया जाये ताकि लोगों को वास्तविक स्थिति का पता चल सके। नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंह देव मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह को लिखे पत्र में कहा है कि वर्तमान में बांध निर्माण को लेकर प्रदेश में जहां भी आंदोलन हो रहे हैं वहां पर आंदोलन को दबाने पुलिस का सहारा लेकर लाठीचार्ज एवं भगदड़ जैसी स्थिति निर्मित हो रही है, ऐसे में उक्त क्षेत्र की जनता अपनी ही सरकार से दहशत में है। नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंह देव ने कहा है कि मेरा ऐसा मानना है कि देश के किसान व ग्रामीण बंधूओं की भावनाओं को ध्यान में रखकर जहां भी बांध निर्माण की योजना है, उक्त संबंध में वहां के किसानों की सहमति आवश्यक होनी चाहिए तथा उक्त निर्माण के लिये किये जा रहे समझौतों व सहमति को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व आमजन उसके बारे में जान सकें।