लिंक को पूरा पढ़े – याद आ जाएगा आपका बचपन…

अम्बिकापुर

“देश दीपक गुप्ता”                                                                                                                                                                                      पढ़िए-स्थापना दिवस.शासकीय कार्यालय..संगठन का झंडा.फिर मारपीट..

नई जनरेसन को अगर छोड़ दे तो आज जिनकी उम्र 25 वर्ष से अधिक होने को है उन सभी ने अपना बचपन कुछ पारंपरिक धमा चौकडी के संग बिताया है,, बचपन की यादे जहाँ में जैसे ही आती है एक विचित्र सुख का अनुभव शायद आप सभी को होता होगा,, जाहिर है इस तश्वीर को को देख कर आपको भी अपने बचपन के दिन याद आ जाएंगे… एक इसी मिठाई जो आज देखने को भी नहीं मिलती..लेकिन सोशल नेटवर्किंग ने इस तस्वीर के जरिये एक बार फिर वर्षो पुरानी यादो को ताजा कर दिया..इस मिठाई का यु तो कोई अधिकृत नाम नही है लेकिन कोई इसे जुरपी कहता है तो कोई लच्छा मिठाई तो कोई बम्बइया मिठाई कहता है,, इसे बेचने वाला शख्स इस मिठाई को बांस की छोटी स्टिक में लपेट कर कभी चिडया बनाता था तो कभी फूल बनाता था,, शक्कर से बनी यह रंग बिरंगी मिटाई इतनी प्रिय थी की डमरू की आवाज सुनकर ही बच्चे सड़क पर दौड़ पड़ते थे,, डमरू बजा बजा कर पूरे शहर में घूम घूम कर बच्चो को यह मिठाई बेचने वाला ना जाने कहा गुम हो गया… ? काश फिर वो डमरू की आवाज आती और फिर ये मिठाई खाने को मिलती और हमारे बच्चे भी इस मिठाई को खा पाते…!!

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