मरीजों को सहारा देने वाले वार्ड ब्वाय अस्पताल से नदारद ….परिजन खींच रहे है स्टे्रचर

  • स्ट्रेचर से वार्ड तक अटेंडर ले जा रहे मरीज
  • वार्ड ब्वाय नेता करने मे व्यस्त

अम्बिकापुर (दीपक सराठे)

शासकीय जिला रघुनाथ अस्पताल में मरीजों को सहारा देने वाले स्वास्थ्य कर्मी गायब हैं। नौबत यहां तक बन गई है कि साथ लाये मरीजों को अटेंडर खुद स्ट्रेचर से वार्ड तक ढोह रहे हैं। जिनकी मदद करने वाला जिला अस्पताल में कोई नहीं है। इन हालात में अस्पताल की आंतरिक चिकित्सा व्यवस्था लचर पड़ गई है। पहले मरीजों को बाहर से अंदर ले जाने और वार्ड से बाहर लाने का काम वार्ड ब्वाय के भरोसे हुआ करता था, परंतु जिला अस्पताल में नियमित 53 वार्ड ब्वाय रहने के बाद भी अब उनका कोई पता नहीं चलता। स्थायी वार्ड ब्वाय मरीजों की तिमारदारी करने की जगह डॉक्टर की सेवा अधिक करते दिखाई देते हैं। इससे मरीज और अटेंडरों की तकलीफें बढ़ गई है। प्रबंधन से भी इसकी शिकायत की जा चुकी है। फिर भी इस समस्या का कोई समाधा नहीं खोजा जा पा रहा है। स्थायी वार्ड ब्वाय के नहीं रहने से अस्पताल आने वाले गंभीर मरीजों के साथ उनके परिजन भी खासे परेशान होते हैं। जिला अस्पताल में तैनात ऐसे कई उम्र दराज वार्ड ब्वाय हैं जो रिटायर होने के दहलीज पर हैं। बाकी जितने वार्ड ब्वाय हैं, उनका अस्पताल में कहीं नामो निशान नहीं दिखता।

रघुनाथ जिला अस्पताल में नियमित लगभग 53 वार्ड ब्वाय की संख्या है। ऐसा नहीं है कि इन वार्ड ब्वाय की रोज हाजिरी नहीं लगती हो। वार्ड ब्वाय अपनी हाजिरी लगाकर न जाने किसकी तिमारदारी में लगे रहते हैं इसका कोई पता नहीं। मौजूदा स्थिति यह है कि अस्पताल मेें जितने भी वार्ड ब्वाय तैनात हैं वह ड्यूटी कम डॉक्टरों की सेवाओं में ज्यादा लगे हुये हैं। कई उम्र दराज वार्ड ब्वाय को चिकित्सकों के रूम के बाहर बैठा दिया गया है। जबकि दूसरे वार्ड ब्वाय डॉक्टरों की दूसरी सेवाओं में लगे रहते हैं। यही वजह है कि वह अपने मनमानी कर रहे हैं। चिकित्सकों की सेवा में हरदम लगे रहने से उन पर किसी प्रकार का दबाव भी नहीं है वह इसी बात का फायदा उठा रहे हैं, जिसका खामियाजा मरीज और अटेंडरों को भुगताना पड़ रहा है।

घायलों को भी नहीं मिल पाती समय से सुविधाindex 1
अस्पताल में बिमार या गंभीर स्थिति में पहुंचने वाले मरीजों को समय पर सुविधाये नहीं मिल पा रही है। ओपीडी में लाये जाने के बाद जब अटेंडर वार्ड ब्वाय को खोजते हैं तो वह उन्हें कहीं नहीं मिलते। इन हालातों में अटेंडरों को दूसरे लोगों की मदद लेकर खुद ही मरीज को स्ट्रेचर पर ले जाने के साथ ही वार्ड तक उन्हें ढकेलते हुये उन्हें पहुंचाना पड़ता है। यह स्थिति जिला अस्पताल में पिछले काफी समय से देखी जा रही है। जब मरीज और उनके साथ आने वाले अटेंडर यह परेशानी भोग रहे हैं। सबसे ज्यादा समस्या तब आती है जब बिमार या घायल व्यक्ति के साथ कोई न हो। आटो वाले घायल या बिमार व्यक्ति को लिये घंटो खड़े रहते हैं पर उन्हें देखने व सुनने वाला कोई नहीं रहता।

नेता गिरी दिखाकर भूले काम
जिला अस्पताल में 2-3 वार्ड ब्वाय तो ऐसे हैं जो नेता गिरी करने में ही अपना पूरा समय व्यतीत करते हैं। उन्हें आज तक वार्ड ब्वाय या वार्ड आया का काम करते किसी ने नहीं देखा। ऐसा नहीं है कि प्रबंधन को इसकी जानकारी नहीं है पर न जाने क्यों उन पर आज तक नकेल नहीं कसी गई। और तो और ये कर्मचारी काम न करते हुये भी अपनी हाजिरी जरूर लगा जाते हैं और हर महीने मुक्त की पगार उठा रहे हैं।

मेरे नियंत्रण में नहीं अस्पताल-सीएमओ
उक्त मुद्दों पर अस्पताल प्रबंधन डॉ. एनके पांडेय से दूरभाष के जरिये जानकारी लेनी की कोशिश की गई, परंतु उनको तीन बार फोन करने पर भी उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इस संबंध में जब स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी सीएमओ डॉ. एके जायसवाल से इस संबंध में जानकारी ली गई, तो उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि मेरे नियंत्रण में जिला अस्पताल नहीं है। आप सिविल सर्जन से इस संबंध में बात कर सकते हैं। अगर सिविल सर्जन अस्पताल की व्यवस्था नहीं संभाल पा रहे हैं तो फिर मैं देखता हॅू।