केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल बोले.. कॉलेज व विश्वविद्यालयों को राजनीति से रखें दूर.. सरकार नहीं करेगी बर्दाश्त

नई दिल्ली. कानून को लेकर जहां लोग सड़कों पर उतर रहे हैं वहीं कई यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भी इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाई है. इसी बीच रविवार को मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि केंद्र सरकार किसी भी कीमत पर राजनीति के हब में बदलते शैक्षणिक संस्थानों को बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने की इजाजत है लेकिन कॉलेज और यूनिवर्सिटियों को इससे बाहर रहना चाहिए क्योंकि बहुत से छात्र पढ़ाई करने के लिए सूदूर स्थानों से आते हैं. उन्होंने कहा, ‘नरेंद्र मोदी सरकार इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी।’

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली विश्वविद्यालय, जादवपुर विश्वविद्यालय और प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय सहित देश भर के विश्वविद्यालयों के हजारों छात्रों ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध किया है. पोखरियाल ने विपक्षी दलों पर सीएए पर जानबूझकर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘यह कांग्रेस है जो धार्मिक आधार पर देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार है. वह सीएए के बारे में गलत सूचना फैला रही है.’ नागरिकता कानून का विरोध करने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि टीएमसी सुप्रीमो ने 2005 में सांसद रहते हुए राज्य में अवैध प्रवासियों के खिलाफ प्रदर्शन किया था.

उन्होंने कहा, ‘ममता ने तब नागरिकता संशोधन विधेयक लाने की मांग की थी.’ नई शिक्षा नीति जिसपर काम चल रहा है उसके बारे में पोखरियाल ने कहा कि इसे देश के मूल्यों के साथ जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा, ‘नई शिक्षा नीति, जिसे 33 सालों के बाद लाया जा रहा है भारत केंद्रित होगी और इसे देश के मूल्यों के साथ जोड़ा जाएगा.’

पोखरियाल ने कहा कि देश की शिक्षा को ज्ञान, विज्ञान और जांच के जरिए आगे बढ़ाया जाएगा. उन्होंने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के केंद्र के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि ये देश ‘धर्मनिरपेक्ष नहीं’ हैं. मंत्री ने कहा कि विभाजन के दौरान धार्मिक अल्पसंख्यकों- जिनमें हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई शामिल हैं वह पाकिस्तान की आबादी का 23 प्रतिशत थे लेकिन वर्तमान में यह आंकड़ा ‘लगभग 3 प्रतिशत’ है.