कौमी एकता की मिशाल – शिव मंदिर की चादर चढाते है दरगाह में..!

देखा जाए तो हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर आज तक कई कई विवाद कराने की नाकाम कोशिश की गई है और समय-समय पर की जाती रहती हैं पर यथार्थ यह है की ऐसा कोई भी समुदाय नहीं है जो की अमन और चैन से रहना न चाहता हो। जहां तक बात हिन्दू-मुस्लिम की है तो देश में ऐसे कई स्थान हैं जहां पर इन दोनों समुदायों के लोगों को आप एक साथ इबादत करते ही नहीं बल्कि जीवन के हर कार्य में साथ में शरीख होता पाएंगे। आज हम आपको एक ऐसे ही स्थान के बारे में बता रहें हैं जहां पर हिन्दू लोग मंदिर से चादर लाते हैं और दरगाह पर चढ़ाते हैं इस काम में बहुत से मुस्लिम समुदाय के लोग भी शरीख होते हैं और इस स्थान पर हिन्दू-मुस्लिम का कोई भेदभाव नहीं है क्योंकि इस स्थान ने दोनों समुदायों के बीच में प्रेम और भाई चारे में बीज बो दिए हैं ,आइये जानते हैं इस स्थान के बारे में।

आज हम आपको बता रहें हैं राजस्थान के टोंक जिले के स्थान के बारे में, यहां पर पुराने बनास के पुल के पास में एक मेला “कोली समाज” द्वारा हर साल आयोजित किया जाता है। इस स्थान की खास बात यह है कि यहां पर हिन्दू लोग शिव मंदिर से रेशमी चादर ला कर “नौ गजे बाबा” की दरगाह पर चढ़ाते हैं। इस स्थान पर हिन्दू और मुस्लिम समुदाय में भाईचारा और पेम देखने को मिलता है। नौ गजे बाबा के बारे में यह कहा जाता है कि ये बाबा ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के 9 गाज़ियों में से एक थे और शायद इसलिए ही इनका नाम “नौ गजे बाबा” पड़ गया है, खैर जो भी हो आज इस स्थान पर एक शिव मंदिर और एक मजार में दोनों ही समुदायों में एकता बना रखी है। हिन्दू लोग अपने कई मांगलिक कार्य भी इस दरगाह पर संपन्न करते हैं, ये लोग इस दरगाह पर लड़के और लड़की को शादी के लिए मिलवाने जैसे कई कार्य करते थे। यहां पर रिश्ता पक्का होना अच्छा माना जाता है। देखा जाए तो अपने देश में धर्मवाद पर ही सबसे ज्यादा विवाद होता है ऐसे में इस प्रकार के स्थान ही मानवीयता और इंसानियत को जिंदा रखते हैं।

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