रामगढ़ महोत्सव का हुआ शुभारंभ .. प्रथम दिवस शोध संगोष्ठी तथा क्विच प्रतियोगिता सम्पन्न 

  • रामगढ़ महोत्सव के माध्यम से अच्छे विचार समाज तक पहुॅचेंगे… टी.एस
  • सीता माता के रास्ते पर हमे चलने की आवश्कता है.. फुलेश्वरी 
 अम्बिकापुर
आषाढ़ माह के प्रथम दिन दो दिवसीय रामगढ़ महोत्सव का उद्घाटन आज यहां शासकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय अम्बिकापुर के आँडिटोरियम में अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंह देव और कार्यक्रम के अध्यक्ष सरगुजा सांसद कमलभान सिंह के साथ जिला पंचायत अध्यक्ष फुलेश्वरी सिंह मौजूद रही । इसके अलावा महोत्सव मे पहले दिन आयोजित शोध संगोष्ठी मे हिस्सा लेने के लिए छत्तीसगढ समेत मध्यप्रदेश ,महाराष्ट्र और कई प्रदेश के साहित्याकर, इतिहासकार मौजूद रहे ।
रामगढ महोत्व पर टी एस सिंह 
विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंह देव ने कहा कि रामगढ़ की पहाड़ी समाज के लिए मार्गदर्षी स्थल हैं। उन्होंने कहा कि रामगढ़ महोत्सव के माध्यम से अच्छे विचारों को समाज तक पहुॅचाएं ताकि भविष्य के निर्माण में सहायक हो सकें। टी.एस. सिंह देव ने कहा कि प्रेक्टिकल करने से जो सिद्ध होता हैं उसे सांईस कहा जाता है, किन्तु इतिहास लेखन का कार्य सरल नहीं होता है। उन्होंने कहा कि इतिहास लिखने का भी आधार होना चाहिए। इतिहास लेखनी तथ्यों एवं सच्चाईयों के आधार पर और कल्पना को सीमित कर लिखी जाती है। प्रमाणिकता के आभाव में लिखी गई बातों को इतिहास नहीं कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं के सामने बड़ी चुनौति होती हैं। श्री सिंहदेव ने कहा कि तथ्यों एवं घटनाओं की सत्यता के आधार पर इतिहास लेखन का कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि घटनाओं की सत्यता और तथ्यों के आधार पर इतिहास लेखनी का कार्य कर शोधकर्ता कीर्तिमान स्थापित करें।
कमलभान सिंह ने कहा
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सरगुजा के सांसद  कमलभान सिंह ने रामगढ़ महोत्सव आयोजन की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी रामगढ़ महोत्सव का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि रामगढ़ स्थित नाट्यषाला विष्व की प्राचीनतम् नाट्याषाला मानी जाती है। हमें इस ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व है।
ramgarh mahotsva ambikapur surgujaजिला पंचायत अध्यक्ष फुलेश्वरी सिंह 
इस समारोह की विशिष्ठ अतिथि जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती फुलेष्वरी सिंह ने कहा कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दो दिवसीय रामगढ़ महोत्सव का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि भगवान राम रामगढ़ की पहाड़ी पर आये थे, जिससे हम धन्य हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सीता माता के रास्ते पर हमे चलने की आवश्कता है।
नवपदस्थ कलेक्टर ने कहा 
सरगुजा जिले के नवपदस्थ कलेक्टर  भीम सिंह ने कहा कि हर वर्ष रामगढ़ महोत्सव आयोजित करना बड़े गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि स्वर्ग की बेटी सरगुजा की प्राकृतिक सुन्दरता और यहां की अनेक लोक संस्कृति आदिकाल से लोक लुभावनी रही है। रामगढ़ की पहाड़ी में प्राचीनतम नाट्यषाला के रूप में चर्चित सीताबैंगरा की गुफा पर्यटकों एवं पुरातत्व में रूचि लेने वालो के लिए आकर्षक का केन्द्र बना हुआ है। महाकवि कालीदास जी की अमरकृति मेघदूतम की रचनास्थली रामगढ़ में अनादीकाल से गोष्ठियाॅ, नाटकमंचन और संस्कृत के विद्वानों का कवि सम्मेलन होता रहा है। रामगढ़ महोत्सव के प्रथम दिवस की आयोजन आज से लगभग चार दषक पहले 1969 में किया गया था। रामगढ़ महोत्सव के प्रथम दिवस इतिहासकारों और साहित्यकारों की उपस्थिति में शोध संगोष्ठी का आयोजन किया जाता हैं। इस वर्ष सरगुजा संभाग के शैलचित्रों का संरक्षण विषय रखा गया है। इस संगोष्ठी में गहन विचार विमर्ष कर एक सार्थक निष्कर्ष पर पहुॅचेंगे। इसके साथ ही क्विज प्रतियोगिता भी आयोजित की गई है। दूसरे दिन रामगढ़ में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
पुरातत्व एवं सांस्कृतिक विभाग के उप संचालक
ए.आर. भगत ने बताया कि ऐतिहासिक स्थलों का शोध करने की दिषा में छत्तीसगढ़ शासन प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि सरगुजा क्षेत्र से रामगढ़, डीपाडीह, महेशपुर एवं वाड्रफनगर में शैलचित्र भरे पड़े हैं। श्री भगत ने कहा कि एतिहासिक मंदिरों एवं शैलचित्रों के संरक्षण के लिए पुरातत्व संग्राहलयों की स्थापना की जा रही है तथा सरगुजा एवं कोरिया में पुरातत्व संग्राहलयों की स्थापना की गई है और महेषपुर में पुराने मूर्तियों के संरक्षण का कार्य किया जा रहा है।
आचार्य श्री निलिम्प त्रिपाठी
ने कहा कि सम्पर्णू भारत में पूर्ण दिव्यता के साथ सरगुजा, सुषोभित हैं। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने रामगढ़ का चयन किया तो यहां के लोग सीधे एवं तरल हैं। श्री त्रिपाठी ने कहा कि यहां सरभंग ऋषि का स्थल रामगिरी आश्रम रहा है। यहां कार्य करना पूजा के समान है।
इस अवसर पर नगर निगम अम्बिकापुर के नेता प्रतिपक्ष श्री जन्मजेय मिश्रा, पुरातत्व संघ के सदस्य एवं पार्षद श्री आलोक दुबे, एल्डरमैन शकुंतला पाण्डेय और देश के विभिन्न हिस्सो से आए साहित्यकार, शोधार्थी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।