सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों से तालमेल बैठाने के बजाय…चाटुकारो से घीरे रहे कलेक्टर… 11 महीनो में प्रदेश सरकार को नही दिखा पाये अपना बेस्ट परफामेंन्स… अब भु-अभिलेख संचालक की जिम्मेदारी…

संजय यादव

जांजगीर चांपा। राज्य सरकार ने बड़े पैमाने मे आईएएस अफसरो के तबादले किए है 20 से ज्यादा कलेक्टरो के तबादले हुए है। 50 से ज्यादा आईएएस अफसरो के तबादले मे कई जिला पंचायत सीईओ के भी नाम शामिल है। प्रदेश सरकार के दो वर्ष पूरे होने जा रहे है। आने वाले अंतिम दो वर्षो में सरकार को भी अपना काम काज जनता के सामने रखना हैं। जिससे जनता पर सरकार का भरोसा बना रहे है। जिसके कारण बड़ी संख्या मे प्रशासनिक अफसरो को इधर से उधर किया गया है। किसी को परफामेंन्स के आधार पर प्रमोशन मिला तो किसी को डिमोशन । जांजगीर चांपा कलेक्टर जनक पाठक भी अपना एक वर्ष का कार्यकाल पूरा नही कर पाये 11 महीनो में ही वापस राजधानी जाना पड़ा । जांजगीर चांपा जिले की बात की जाये।

तो कलेक्टर जनक पाठक का कार्यकाल में कोई विशेष योगदान नही रहा। वे राज्य सरकार को अपना बेस्ट परफामेन्स दिखाने मे असफल रहे है. 11 महीने सिर्फ जिले के चाटुकारो से घीरे रहे और उन्हे के इसारो पर चलते रहे जिसका परिणाम यह हुआ। यहां तक सत्ताधारी पार्टी के नेताओ के साथ भी अपना तालमेल नही बना पाये। जिसके कारण उन्हे आज यह दिन देखने को पड़े। कलेक्टर रहते अपने जिम्मेदारी से पीछे रहे. जिले के विकास के लिए इन 11 महिनो मे कोई विशेष कार्य भी नही हुआ. निकाय चुनाव व पंचायत चुनाव के पहले जिस कार्य के लिए राशि स्वीकृत हुई थी वह भी लेप्स हो गया । जिले के बड़ें विकास कार्यो में 40 करोड़ से ज्यादा जल अवर्धन योजना भी अधूरा रहा। राज्य सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट नरवा,गरवा, घुरूवा,बाड़ी योजना भी जिले में कोई खास पहचान नही बना पाई। बल्कि जिले के कई जगहो के गोठानो मे हुए गायों की मौत के कारण कलेक्टर को फटकार भी मिली। धान खरीदी मे भी जिला विवादो मे रहा. कलेक्टर अपनेे करीबीओ को खास जगहो में रख कर धान खरीदी भी बड़ा खेल किये। हालांकि पूरी तरह खुलासा नही हो पाया। मामला ठंडे बस्ते में चला गया। वही इधर कोरोना महमारी में जिले के तहसीलदार ने जो अपना सिंघम रूम दिखा कर व्यापारी का सिर फोड़ा, इस मामले में भी कलेक्टर के कार्य प्रणाली पर सवाल खडा हुआ। जांजगीर चांपा कलेक्टर जनक पाठक जिस एप्रोज से कलेक्टर बन कर आये थे। आज उन्ही लोगो के लिए कुछ नही कर पाये। अल्प समय मे ही यहां से चले गये। कलेक्टर जनक पाठक के स्थानातंरण से कोई खुश हो रहा तो कोई ओदश काफी के वायरल होते ही बंगला पहुंच कर सहानुभूति प्रकट कर रहा है। कलेक्टर के करीबी रहे लोग साहब का बोरिया बिस्तर बांधने मे मदद कर रहे है। और पूरा रायपुर तक छोड़ कर आने की कसमें खा रहे है…..