Chhattisgarh News: तिरंगे में लिपटा अम्बिकापुर पहुंचा बीएसएफ जवान का शव, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार



अम्बिकापुर. ज़िला मुख्यालय अम्बिकापुर निवासी बीएसएफ़ जवान अजीत कुमार माँझी का शव आज अम्बिकापुर पहुँचा. शहीद जवान की मौत 24-25 मई की दरमियान रात हुई थी. जिसके बाद हवाई मार्ग से शव को रायपुर लाया गया. वहाँ से सड़क मार्ग से शव पैतृक शहर अम्बिकापुर लाया गया है. शहीद के साथ सेना के जवान भी पहुँचे थे. शहीद श्री मॉझी का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहर के शंकरघाट स्थित मुक्तिधाम में किया गया.

2002 में बार्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स में भर्ती होने के बाद अजीत कुमार माँझी फ़िलहाल जम्मू के बीएसएफ़ के आईनगर हेडक्वाटर में पदस्थ थे. 51 कंपनी के जी कंपनी में पदस्थ अजीत कुमार माँझी ड्यूटी के दौरान ही बीमार पड़ गए थे. जिसके बाद उनका इलाज हुआ और वो ठीक हो गए थे. लेकिन एक बार फिर अचानक तबियत ख़राब होने के बाद शहीद अजीत को बीएसएफ़ अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां इलाज के दौरान उनको हार्टअटैक आया और उनका निधन हो गया. निधन के दौरान अजीत की पत्नी बच्चे और माँ पिता उनके साथ थे.

शहीद अजीत कुमार मॉझी के निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर फ़्लाइट द्वारा दिल्ली भेजा गया. जहां से दूसरी फ़्लाइट में पार्थिव शरीर को रायपुर भेजा गया. रायपुर आने के बाद पार्थिव शरीर सड़क मार्ग से अम्बिकापुर भेजा गया. जहां आज शुक्रवार को श्री अजीत कुमार मॉझी के शव का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. इधर दर्दनाक पहलू ये था कि तिरंगे में लपेटे पहुँचे शव का अंतिम संस्कार शहीद के 12 वर्षीय बेटे ने किया.

शहीद के शव पहुँचने के बाद आज अंतिम यात्रा से लेकर अंतिम संस्कार तक सरगुजा ज़िले के प्रशिक्षु आईपीएस, एडीएम अमृत लाल ध्रुव, एसडीएम प्रदीप कुमार साहू, कोतवाली थाना प्रभारी भारद्वाज सिंह समेत काफ़ी संख्या में पुलिस बल मुक्तिधाम में मौजूद रहे. इधर मुक्तिबोध में ही बीएसएफ़ के सब इंस्पेक्टर दलबीर सिंह की अगुवाई में बीएसएफ़ के जवानों ने गार्ड ऑफ आनर दिया. और मौजूद अधिकारियों ने पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद को श्रद्धांजलि दी. साथ ही अंतिम संस्कार में काफ़ी संख्या में शहरवासी और शहीद अजीत कुमार मॉझी के मित्रगण मौजूद रहे. ग़ौरतलब है कि शहीद अजीत कुमार मॉझी (राजू) इसी साल 20 साल सेना की नौकरी से रिटायर्ड होने वाले थे. और कुछ दिन पहले ही अपने घर अम्बिकापुर आए थे.