रमजान के पाक महीने के बाद अल्लाह का शुक्रिया अदा कर मनाया गया ईद का त्यौहार

अम्बिकापुर 

पूरे देश के साथ सरगुजा संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर मे हजारो की संख्या मे मुस्लिम समाज के लोगो ने ईद का नमाज अदा की और  रमजान के पाक महीने के बाद ईद का त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया गया । ईद के दिन सुबह से ही जंहा लोगो मे ईद को लेकर उत्साह देखा गया तो वही सुबह 10 बजे शहर के जामा मस्जिद और सत्तीपारा ईदगाह के साथ तमाम मस्जिदो मे ईद की नमाज अदा करने लोगो एकत्र हुए। इस अवसर पर मुस्लिम समाज के लोग मे अच्छा खासा उत्साह देखा गया और नमाज के बाद सबने एक दूसरे के गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। दरअसल मुसलमानों का त्योहार ईद,  रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाई जाती है लेकिन बारिश के मौसम मे चांद ना दिखने के कारण समाजिक आदेश के बाद के लोगो ने आज गुरुवार को ईद मनाने का फैसला किया था। जिसके बाद आज रमजान के महीने के अंत मे ईद का त्यौहार काफी धूम धाम से मनाया गया । सभी लोग नया कपडा पहनकर ईद की नमाज अदा करने पंहुचे और उपवास की समाप्ति पर सब ने अल्लाह का इस बात को लेकर शुक्रिया अदा किया कि उसने उपवास रखने की क्षमता दी।
मौलाना नूर आलम, जामा मस्जिद
मौलाना नूर आलम ने इस मौके ने ईद के पाक अवसर पर मुस्लिम समाज के अलावा देश वासियो को खुशहारी और भाईचारे का संदेश दिया और बताया कि 30 वर्षो बाद इस वर्ष रमजान और ईद दोनो खास है.. क्योकि कई वर्षो बाद रमजान मे 18 से 20 घंटे का रोजा रखने का मौका मिला है। इतना ही नही मौलाना ने कहा कि पूरे हिंदुस्तानवाली अगर एक हो जाए तो हमारी ताकत मजबूत हो सकती है और अगर हम आपस मे टकराते रहे तो हम भी कमजोर हो जाएगे और मुल्क भी कमजोर होगा ।

ईद का महत्व

मुसलमानों का त्योहार ईद रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाई जाती है। इसलामी साल में दो ईदों में से यह एक है दूसरा ईद उल जुहा या बकरीद कहलाता है । पहला ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनाया था। उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी। ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैया इस त्योहार की सबसे जरूरी खाद्य पदार्थ है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं।ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की प्रार्थना से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे. इस दान को ज़कात उल-फ़ितर कहते हैं। उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी। ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैया इस त्योहार की सबसे जरूरी खाद्य पदार्थ है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं।