बेलगाम रेत माफियाओ के चढावे में बहुत दम है.. तभी तो आंखे मूंदे बैठे हैं खनिज और पुलिस के अधिकारी

सूरजपुर.. कोयला तस्करी के लिए छत्तीसगढ का प्रसिद्ध जिला अब रेत माफियाओ का महफूज ठिकाना बन गया है.. कांग्रेस सरकार आते ही प्रदेश की राजधानी और आस पास के रेत माफिया… अपने राजनैतिक आकाओ के दम पर सूरजपुर जिले मे रेत का अवैध कारोबार करवा रहे हैं.. लेकिन खनिज विभाग के अधिकारी औऱ पुलिस उनके चढावे के सामने नतमस्तक नजर आ रहे हैं.. यही वजह है कि सूरजपुर की कई नदियां और नालो पर अब अस्तित्व संकट गहराने लगा है..

कभी अपने भूगर्भीय खजाने के लिए सूरज की तरह चमकने वाले सूरजपुर जिले मे अब खनिज माफियाओ ने ऐसा ग्रहण लगाया है कि.. सरकार को लाखो करोडो के राजस्व का चूना लगाकर… खनिज माफिया जिले के खनिज का दोहन करने मे भिड गए है.. आलम ये है कि जिले के सूरजपुर ब्लाक मे ही आने वाले हर्राटीकरा, राजापुर, रुनियाडिह समेत सैकङो गांव से बहने वाले नदी नालो से प्रतिदिन सैकडो ट्रक ट्रेक्टर मे बालू का अवैध उत्खनन और परिवहन हो रहा है.. जिससे खनिज माफिया तो मालामाल हो रहे हैं.. लेकिन सरकार को प्रतिदिन लाखो के राजस्व का नुकसान हो रहा है.. नुकसान केवल सरकार को नहीं बल्कि इन गांवो के उन लोगो को भी हो रहा है.. जो नदी नालो के सहारे आज भी खेती और जल स्तर पर आश्रित हैं..

गौरतलब है कि जिले मे रेत उत्खनन के लिए 36 रेत खदानो का आबंटन कर दिया गया है.. जिनमे केवल 11 रेत खदाने ही नियम कायदे से संचालित है.. बाकी कि 25 रेत खदानो को पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिली है.. ऐसे मे अवैध रेत कारोबारी.. प्रदेश के राजधानी और अन्य हिस्सो मे बैठे.. अपने बडे माफियाओ के बलबूते… छोटे छोटे नदी नालो से अवैध रेत उत्खनन कर तीन से पांच हजार रुपए ट्रैक्टर रेत कि बिक्री कर रहे है… ऐसे मे सीधे तौर पर पुलिस औऱ खनिज विभाग की सांट गांठ तो दिखाई दे रही है… लेकिन खनिज विभाग के अधिकारी दफ्तरो मे बैठ कर ये दावे करते जरूर सुने जा सकते हैं.. कि वो और पुलिस अवैध रेत उत्खन्न पर कार्यवाही कर रही है..

सूरजपुर जिले मे खनिज और पुलिस विभाग के अधिकारियो की सांटगांठ की वजह से छोटे बडे नदी नालो के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है… जहां इन छोटे नदी नालो से सैकङो गांवो के किसानो के फसलो को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होता है… वहां अवैध तरीके से रेत उत्खनन से नदी नालो का जलस्तर गिरता जा रहा है…. जो भविष्य मे किसानो के लिए बडी समस्या बन सकता है.. बहरहाल ये सोचना प्रदेश की उस सरकार के हिस्से का काम है… जो किसान हितैषी होने का दावा करती है…