पढिए.. समाजवादी पार्टी मे आए राजनैतिक भूचाल के बाद क्यो हो सकते है “सपा के समीकरण”

समाजवादी पार्टी  में टिकट बंटवारे को लेकर मुलायम कुनबे समेत पूरे सपा मे भूचाल का गया है। पिता द्वारा जारी प्रत्याशियो की सूची में अपने चहेतो को अनदेखी से नराज मुलायम पुत्र अखिलेश  ने 235  लोगों की नई लिस्ट जारी कर दी है । इसके कुछ घंटे के भीतर गुरुवार देर रात चाचा शिवपाल यादव ने 68 लोगों की अपनी लिस्ट जारी कर दी, मुलायम और शिवपाल की ओर से घोषित उम्मीदवारों की संख्या 393 हो गई है । मतलब इनकी ओर से सपा में अब सिर्फ 10 सीटों पर नामों का ऐलान होना बाकी है।  जानिए आखिर सपा की अंदरुनी महाभारत मे क्या क्या हो सकते है समीकरण

अखिलेश अपने चहेतो को निर्दलीय चुनाव लडवा सकते है 
संभावना है कि अखिलेश यादव अपने तमाम करीबीयो को निर्दलीय चुनाव लडने की बात कह सकते है। वह खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और विधान परिषद के सदस्य हैं । अखिलेश अपने उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार भी कर सकते हैं । लेकिन इसमें मुश्किल यह है की निर्दलीय उम्मीदवार अलग-अलग चुनाव चिन्हों पर चुनाव लड़ेंगे और तमाम दूसरे निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच उनकी पहचान बन पाना मुश्किल है । ऐसे में ज्यादातर उम्मीदवारों पर हार का खतरा रहेगा और अखिलेश का खेल खराब हो सकता है ।
समर्थकों की नई पार्टी बनवा सकते हैं अखिलेश
दूसरा तरफ ये संभावना भी है कि अखिलेश अपने सभी लोगों को किसी नई पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़वा दें । ऐसी पार्टी को खोजना मुश्किल नहीं है जिसका चुनाव चिन्ह, चुनाव आयोग में पहले से ही रजिस्टर्ड हो । यह अभी कहा जा रहा है कि अखिलेश ने किसी समर्थक के जरिए पहले से ही कोई पार्टी रजिस्टर करा रखी है. अगर अखिलेश के सभी समर्थक एक चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ते हैं तो इससे फायदा हो सकता है. इस विकल्प की संभावना सबसे ज्यादा है।

इस गठबंधन पर हो सकता है विचार  

अखिलेश यादव अपनी तरफ से कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल से गठबंधन भी कर सकते हैं ताकि उनकी स्थिति मजबूत हो. पिछले कुछ दिनों से अखिलेश यादव लगातार गठबंधन के पक्ष में बात कर रहे हैं जबकि मुलायम सिंह इसके खिलाफ ही रहे हैं । अखिलेश की तरफ से गठबंधन की संभावना इसलिए भी दिखती है क्योंकि उन्होंने सिर्फ 235 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं. अखिलेश यादव की तरफ से जो लिस्ट आई है उसमें जिन सीटों पर 2012 में कांग्रेस जीती थी वहां ज्यादातर सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की गई है । अखिलेश की तरफ से रायबरेली और अमेठी में सिर्फ एक सीट पर उम्मीदवार उतारा गया है जब की यहां की ज्यादातर सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है ।

मुलायम फिर समझाईस फार्मुले का कर सकते है प्रयोग
जानकारों के मुताबिक, तो हो सकता है कि पिछली बार की तरह मुलायम बेटे अखिलेश यादव और भाई शिवपाल को फिर समझा लें । ऐसी सूरत में तीनों फिर उम्मीदवारों के नामों पर विचार कर सकते हैं और एक नई लिस्ट सामने आ सकती है । उस लिस्ट में अखिलेश के कुछ समर्थकों को जगह मिल सकती है, कुछ नाम बदले भी जा सकते हैं । अखिलेश और मुलायम की लिस्ट में सिर्फ 48 नाम ही अलग हैं. हालांकि, इसकी संभावना कम ही दिख रही है क्योंकि अखिलेश का बागी तेवर सामने आते ही रातोंरात शिवपाल ने 68 और नामों का ऐलान कर संकेत दे दिया कि वे भी झुकने के लिए तैयार नहीं हैं ।

इनकी भूमिका होगी अहम
सबसे बड़ी भूमिका उन उम्मीदवारों की होगी जिन्हें अखिलेश और मुलायम दोनों की लिस्ट में टिकट मिला है. अब उन्हें तय करना होगा कि वे किस ओर से चुनाव लड़ेंगे, इसके अलावा रामगोपाल यादव की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि समाजवादी पार्टी की तरफ से नामांकन के समय उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह वही देते हैं. इससे पहले वे कई मौकों पर अखिलेश का साथ दे चुके हैं ।

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