दाल भात केन्द्र बना कालाबाजारी का अड्डा.. खुले बाजार मे बिक रहा है गरीबो का चावल

  • गरीबो के भोजन में डाका, जिम्मेदार कौन
  •  दाल भात केन्द्र का चावल बिक रहा बाजार मे
  •  योजना के नाम पर हो रहा रहा हर माह 100से 150 क्वि.आवटंन,

जांजगीर चांपा (संजय यादव) सरकार गरीबों के खादयान पर लगातार कटौती कर रही है, जबकि सालों से दाल-भात केन्द्र के नाम पर हर माह 100 से 150 क्विटल चावल हजम करने वालो पर मेहरबान है। सरकार ने इस योजना को सालो पहले शुरू किया था,जो वर्तमान मे केवल चावल के लालच मे ही जिंदा है। यहां न तो किसी प्रकार के भरपेट भोजन मिलता है और ना ही संचालक दाल भात बनाते है। हर माह चावल लेकर उसे खूले बाजार में बेच दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने बरसो पहले दाल भात योजना शुरू की थी। इसके पीछे सरकार की मंशा थी कि बाहर से शहर आने वाले लोगों को पांच रूप्ये मे भोजन मिल सके।

योजना के तहत जिला मुख्याजय जांजगीर,चांपा,सक्ती,डभ्रा,मालखरौदा, व जैजैपुर मे दाल भात केन्द्र खोला गया है। जिसका संचाजन महज कागजों में हो रहा हैं इन केन्दा्रें मे दाल भात के बजाय समोसा,बड़ा सहित नाश्ते की सामग्री बिक रही है। मंहगाई के इस दौर मे भरपेट दाल भात खिलाना और वो भी पांच रूपये मे यह संचालको के नागवार गुजर रहा हैं लेकिन योजना से इन्हे इसलिए लगाव है क्योकि हर माह दाल भात केन्द्रों के नाम यहां 100 से 150 क्विं चालव का आबटंन हो रहा है रियायती दर पर चालव लेकर उसे न्यूतम 15 रूप्ये किलो के भाव में खुले बाजार मे खपाने की जानाकरी सामने आई हैं इस दर से यदि 100 क्वि. चालव का हिसाब किया जाय तो यह राशि डेढ लाख रूपये होता है। बिना कुछ किए दुकानदारो को यह राशि हर माह मिल जा रही है। उल्लेखनीय है कि गरीबों के खादयान पर राज्य सरकार की टेढी नजर है। जिसके कारण पहले राशन कार्डो मे कटोती की गई और अब प्रति यूनिट सात किलो चावल कांटकर गरीबों की कमर ही तोड़ दी है।
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