जोगी जाति मामले में राहत.. रीना कंगाले ने कोर्ट में माना, नहीं किया प्रक्रिया का पालन : अमित

रायपुर  जोगी के जाती मामले में कोर्ट में हाई पावर कमेटी की अध्यक्षा रीना खंगाले के बयान के बाद जोगी पुत्र और मरवाही विधायक अमित जोगी ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए कई खुलासे किये है… बताया गया है की मरवाही विधायक अमित जोगी के विरुद्ध समीरा पैकरा द्वारा लगायी गयी चुनाव संबंधी याचिका पर आज उच्च न्यायालय में बहस हुई। भाजपा की याचिकाकर्ता समीरा पैकरा के पक्ष में हाई पावर कमीटी की अध्यक्ष रीना बाबासाहेब खंगाले ने गवाही दी। विधायक अमित जोगी की ओर से वकील राहुल त्यागी ने प्रतिपरीक्षण  की। उच्च न्यायालय में हुई गवाही और बहस से जाति मामले में हाई पावर कमिटी के झूठे और षडयंत्रकारी तर्कों का पर्दाफाश हुआ। रीना खंगाले उच्च न्यायालय के समक्ष यह बताने में असमर्थ रही कि विजिलेंस सेल की जांच रिपोर्ट में कहाँ जाति प्रमाण पत्र के फ़र्ज़ी होने का उल्लेख है। 
रीना कंगाले ने माना कि आज तक HPC ने अजीत जोगी को कारण बताओ नोटिस जारी नही किया और न उन्हे यह बताया कि विजिलेंस सेल जांच में उनका प्रमाण पत्र त्रुटिपूर्ण या कपटपूर्ण पाया गया। उन्होने माना कि कमेटी में तीन मत उनके थे और तीन अधिनस्थ अधिकारियों के थे जिनकी ए.सी.आर. और नौकरी खत्म करने की संस्तुति करने का अधिकार उन्हें था। उन्होने यह भी माना कि उनके खिलाफ लंबित तीन विभागीय जांच मुख्यमंत्री रमन सिंह ने खत्म की। उन्होने यह भी माना कि कानून के अनुसार समिति ने जांच नहीं की और न ही उन संस्थानो को और व्यक्तियों को जो अजीत जोगी के कंवर होने के पक्ष में बयान देते उन्हे मौका दिया गया। उन्होने यह भी माना कि अजीत जोगी के क्षेत्र के व्यक्तियों ने उनके कंवर होने की पुष्टि की, उनके बयानो को दरकिनार कर दिया गया। उन्होने यह माना कि हाई पॉवर कमेटी में अध्यक्षा पद की नियुक्ति की कोई गजट नोटिफिकेशन नहीं थी। आज रीना कंगाले ने सारी बाते शपथ पूर्वक कही।  
दंतेवाड़ा कलेक्टर रहते एक गैर आदिवासी को आदिवासी की जमीन खरीदने की अनुमति देने के दो मामलों में रीना खंगाले को नोटिस दिए गए थे। वहीँ रीना खंगाले को दुर्ग कलेक्टर रहते हुए कृषि भूमि को व्यावसायिक भूमि में तब्दील करने के मामले में भी नोटिस दिया गया था। लेकिन रीना खंगाले के विरुद्ध इन सभी मामलों में सामान्य प्रशासन विभाग जिसके मुखिया मुख्यमंत्री स्वयं हैं ने किसी भी विभागीय जांच की अनुमति नहीं दी थी। उल्टा रीना खंगाले को क्लीन चिट दे दी गयी थी । स्वाभाविक है कि रीना खंगाले ने हाई पावर कमिटी में झूठी रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री के एहसान का बदला चुकाया और एक भाजपा एजेंट होने का धर्म निभाया। 
छ सदस्यीय हाई पावर कमिटी में तीन सदस्यों के रूप में एक अधिकारी रीना खंगाले को ही सारे अधिकार थे। इसके आलावा बाकी के तीन सदस्य, रीना खंगाले के मातहत कर्मचारी थे जिनकी सीआर रीना खंगाले के हाथों में है। हाई पावर कमिटी में इस गैर क़ानूनी और राजनितिक षडयंत्र के लिए की गयी व्यवस्था से साफ़ है कि हाई पावर कमिटी में वही हुआ जो मुख्यमंत्री चाहते थे और रीना खंगाले चाहती थी।       
रीना बाबा साहेब खंगाले का समीरा पैकरा के पक्ष में गवाह बनना ये भी प्रमाणित करता है कि रीना खंगाले लोकसेवक के रूप में जनता की नहीं बल्कि भाजपा की एजेंट के रूप में कार्य कर रही है। विधायक अमित जोगी ने कहा है कि अभी तो शुरुआत है। आखिर में जीत सच की ही होगी। उन्हें न्यायालय पर पूर्ण आस्था है।