थानों में लंबित है प्रकरण..कप्तान के पास शिकायतों का अम्बार…9 माह में पहुंची 1800 शिकायत..हर माह दो सौ शिकायतें

अम्बिकापुर”दीपक सराठे”

देशभक्ति जन सेवा और अनुशासन का प्रतीक पुलिस थानों के कान बहरे हो चुके हैं। यहां पर आम आदमी से ज्यादा राजनीतिक रसूखदारों की सुनी जाने लगी है। आंकड़ो के मुताबिक पिछले 9 महीनों में पुलिस अधीक्षक कार्यालय में लगभग 1800 शिकायतों का पहुंचना इस बात का जिन्दा सुबूत है कि पुलिस थाने, पुलिस थाने नहीं रहे और आम जनता का पुलिस थानों पर से भरोसा उठ चुका है। लोग अब सीधे पुलिस कप्तान के पास जाने लगे हैं। पुलिस की लगातार घटती साख इससे उजागर हो रही है।

थाने स्तर से निराश लोग पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक, कलेक्टर, जनदर्शन सहित पीएचक्यू में सीधे शिकायत करने में ज्यादा विश्वास करने लगे हैं। इन सभी जगहों को मिलाकर 9 माह में लगभग 1800 शिकायत पुलिस से संबंधी इकऋी हो चुकी है।  इन शिकायतों का निराकरण करने का तरीका भी निराला है। जिस थाने से उपेक्षित होकर पीडि़त यहां आता है, बाद में  शिकायत उसी थाने के हवाले कर दी जाती है। थाना प्रभारी को सख्त लहजे मेें चेतावनी दी गई तो ठीक, वरना फिर वही ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती है। कुल मिलाकर जिले के थानों में  फरियादियों को निराश करके रखा है। कहा जा सकता  है कि सभी अपनी रोटी सेंकने में व्यस्त हैं।

जिले के विभिन्न थानों सहित शहरी क्षेत्र के थाने में फरियादियों की नहीं सुनने व अपराध दर्ज नहीं करने सहित अपराध दर्ज करने के बाद भी अपराधियों पर अपनी दयादृष्टि बनाये रखने की शिकायतों की संख्या का दबाव पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर बढ़ता जा रहा है। थाना प्रभारियों की लापरवाह कार्यशैली के कारण बढ़ते वर्कलोड को कम करने के प्रयास भी नहीं किये जा रहे हैं। ऐसी रोज न्यूनतम 6 से 7 शिकायतें पुलिस कप्तान कार्यालय में पहुंचती है। मतलब महीने में लगभग दो सौ शिकायते सामने आ रही है।

चलित थाना का संचालन जरूरी-

पुलिस मित्र योजना व चलित थाना के माध्यम से लोगों तक पहुंचना और उनकी काफी समस्याओं का मौके पर निपटारा करना एक अच्छी योजना थी। इसका पालन करने सभी थानो को निर्देश जारी किये गये थे, परंतु एकाध बार इस योजना को संचालित करने के बाद थाना प्रभारियों की दिलचस्पी न होने से यह योजना प्रायरू बंद स्थिति में पहुंच चुकी है।  अधिकारियों ने भी इसे गंभीरता से नही लिया, आत्ममुग्ध होकर  थाना व अन्य स्तर पर चलने वाली यह योजना कागजों तक ही सीमित होकर रह गई है।

वरिष्ठ अधिकारी के प्रति ज्यादा विश्वास-एडीशनल एसपी

अम्बिकापुर एडीशनल एसपी श्री साहू ने चर्चा में बताया कि लोग वरिष्ठ अधिकारी के प्रति ज्यादा विश्वास करने लगे हैं। इसीलिये ज्यादातर शिकायत उच्च अधिकारियों के पास आई है। श्री साहू से यह पूछा गया कि तो क्या यह मान लिया जाये कि पीडि़त लोगों का थाने के प्रति विश्वास कम हो गया है? इस संबंध में उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है थाने में भी आवेदन आते हैं लेकिन कई कारणों से लोग उच्च अधिकारियों के पास शिकायत करते हैं।