शायद मनोवैज्ञानिक ढंग से पूछताछ होती और बेहतर निगरानी रहती. तो पुलिस, लॉकअप मे ना होती आत्महत्या की घटना…

गरियाबंद.. प्रदेश में पुलिस के आला अधिकारी विभिन्न मामलों के संदेहियों से मनोवैज्ञानिक ढंग से पूछताछ करने का दावा करते है.. लेकिन यह दावे उस समय सिर्फ दावे बनकर रह जाते है..जब पुलिस कस्टडी में संदेहियों की आत्महत्या के आकड़ो में इजाफा हो जाता है..और ऐसा ही एक मामला करीब 40 घंटे पहले गरियाबंद जिले मे सामने आया था. जहाँ पुलिस लाकअप में एक संदेही द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या करने के बाद जिले के पुलिस कप्तान ने थाना प्रभारी समेत तीन पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है..

क्या था पूरा मामला.

दरसल जिले के सुप्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में से एक जतमई मंदिर में 13 सितंबर को अज्ञात चोरों ने चोरी की वारदात को अंजाम दिया था..जिसके बाद मंदिर ट्रस्ट ने छुरा थाने में मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई थी..और पुलिस मामले की जांच में लगी हुई थी..इसी दौरान पुलिस ने उक्त वारदात के संदेही के रूप में सन्तोष नामक युवक को अपनी कस्टडी में लेकर पूछताछ की ..तथा सन्तोष को पुलिस ने थाने के लॉकअप में रखा था..जहाँ सन्तोष ने पुलिस द्वारा दी गई कम्बल का फंदा बनाकर 13 और 14 सितंबर की दरम्यानी रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी..इस घटना के बाद पुलिस महकमे में हड़कम्प मच गया था..और छुरा थाने की पुलिस ने इस घटना के सम्बंध में फौरी तौर पर उच्चाधिकारियों को अवगत कराया था..जिसके बाद एसपी ने थाना प्रभारी दीपेश सैनी समेत एक हवलदार और दो आरक्षक को निलंबित कर दिया..और मामले की विभागीय जांच के अलावा मजिस्ट्रियल जांच भी शुरू है.

बता दे की पुलिस हिरासत में फांसी लगाने वाला युवक सन्तोष मूलतः महासमुन्द जिले का निवासी था..और अस्थाई तौर पर वह अपने ससुराल फिंगेश्वर में पिछले कुछ महीनों से रह रहा था..

बहरहाल पुलिस हिरासत में क्या कुछ हुआ..और मृतक पर लग रहे आरोप कितने सच थे..यह राज तो उसके खुदकुशी कर लेने के बाद राज ही रह गया.. तो वही अब इस घटना के बाद विभाग ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने क्या कदम उठाएगा यह देखने वाली बात है..